शिरडी श्री साईं बाबा मंदिर – खुलने का समय, इतिहास, संस्था, रहस्य, नंबर और अन्य सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

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Shirdi Sai Baba Temple : महाराष्ट्र में स्थित शिरडी (Shirdi In Maharastra) एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालू दर्शन को पहुंचते हैं. साईंबाबा जिन्हें शिरडी साईंबाबा भी कहा जाता है, एक भारतीय गुरु, संत एवं फ़क़ीर के रूप में बहुमान्य हैं. उनके अनुयायी उन्हें सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी मानते हैं. साईं बाबा का जन्म कब और कहाँ हुआ था एवं उनके माता-पिता कौन थे ये बातें अज्ञात हैं. किसी दस्तावेज से इसका प्रामाणिक पता नहीं चलता है. स्वयं शिरडी साईं ने इसके बारे में कुछ नहीं बताया है. आगे इस लेख में हम शिरडी साईं बाबा मंदिर कहां है, इतिहास, आरती का समय और शिरडी कैसे पहुंचे से जुडी जानकारी बताएँगे.

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shirdi sai baba temple

Table of Contents

शिरडी का इतिहास | history of shirdi in hindi

सबसे पहले आपको यह बता दें कि ‘ शिरडी ‘ को मराठी में ‘ शिर्डी ‘ कह कर सम्बोधित करते है. हमने दोनों नाम का बराबर प्रयोग किया है ताकि आप कभी सन्देह में न आये. यह नगर भारत के महाराष्ट्र राज्य में अहमदनगर ज़िला के “रहाता तहसील” के अंतर्गत आने वाला एक कस्बा (पहले गांव था) हैं. शिरडी, अहमदनगर-मनमाड राज्यमार्ग (State Highway No. 10) पर स्थित है. यह नगर मनमाड से 65 KM जबकि ज़िला मुख्यालय अहमदनगर से 80 KM की दूरी पर अवस्थित हैं. यह नगर मुख्य रूप से साईं बाबा के समाधि मंदिर के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध और ख्याति प्राप्त हैं. इसीलिए इस नगर का दूसरा नाम – साईंनगर शिरडी(शिर्डी) हैं.

शिरडी श्री साईं बाबा मंदिर के बारे में | About Shri Saibaba Temple

श्री साईबाबा का मंदिर परिसर लगभग 200 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. यह शिरडी गांव के मध्य में स्थित है और दुनिया भर से तीर्थयात्रियों का एक प्रमुख केंद्र है. श्री साईंबाबा के दर्शन के लिए प्रतिदिन औसतन 25,000 भक्त शिरडी गांव आते हैं. त्यौहारी सीज़न में, प्रतिदिन 1,00,000 से अधिक भक्त मंदिर में आते हैं. मंदिर परिसर का नवीनीकरण वर्ष 1998-99 में किया गया था और अब यह दर्शन लेन, प्रसादालय (दोपहर का भोजन और रात का खाना), दान काउंटर, प्रसाद काउंटर, कैंटीन, रेलवे आरक्षण काउंटर, बुक स्टॉल आदि जैसी सभी आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित है. आवास सुविधाएं हैं संस्थान द्वारा भी प्रदान किया गया.

शिरडी वाले साईं बाबा का मंदिर कहां है ? | Where is the temple of Shirdi Sai Baba?

शिरडी वाले साईं बाबा का मंदिर महाराष्ट्र राज्य में अहमदनगर ज़िला के रहाता तहसील के शिरडी में स्थित है. शिरडी, अहमदनगर-मनमाड राज्यमार्ग (State Highway No. 10) पर स्थित है. यह नगर मनमाड से 65 KM जबकि ज़िला मुख्यालय अहमदनगर से 80 KM की दूरी पर अवस्थित हैं. साईं बाबा भारतीय संत और गुरु मूलत रूप से शिरडी के रहने वाले नही थे. बाबा श्री के जन्म और स्थान को ले कर कई भ्रांतियां है. एक दम सटीक बताना की उनका जन्म कब हुआ है? ये बहुत ही मुश्किल कार्य है.

सर्वसम्मति यह कह सकते है कि बाबा जी का जन्म तिथि अज्ञात है. कुछ लोगो का यह मानना है कि साईं बाबा का जन्म “हैदराबाद राज्य” (वर्तमान में हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी है) के “पाथरी ग्राम” में हुआ था. 14 से 16 वर्ष की अवस्था में बाबा जी अहमदनगर के शिर्डी गांव में आकर अपनी कुटिया (चावड़ी) में अपना निवास बना लिया था. कुछ लोगो का यह भी मानना है कि इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, परन्तु माता-पिता कौन थे ये भी बता पाना मुश्किल है.

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श्री साईबाबा का जीवन परिचय | Biography of Shri Saibaba

साईं बाबा का जन्म कब और कहाँ हुआ था एवं उनके माता-पिता कौन थे ये बातें अज्ञात हैं. किसी दस्तावेज से इसका प्रामाणिक पता नहीं चलता है. स्वयं शिरडी साईं ने इसके बारे में कुछ नहीं बताया है. श्री साईं बाबा के जीवनकाल में लिखे गए संतकवि दासगणु महाराजकृत भक्तिलीलामृत (वर्ष 1906 शके 1828) और संतकथामृत (वर्ष 1908 शके 833) इन दोनों ग्रंथो में तथा समकालीन महत्वपूर्ण दस्तावेजों में बाबा के जन्म स्थान के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

साई भक्तो के दृष्टी से प्रमाण ग्रंथ श्री साईसच्चरित में, श्री साई बाबा के जन्म स्थान का कोई जिक्र नहीं है. श्री साईबाबा के जन्म स्थान का प्रथम वर्णन वर्ष 1922 में प्रकाशित श्री साईलीला वर्ष तृतीय चैत्र शके 1847 के प्रथम अंक में मिलता है. परन्तु भक्त म्हालसापति द्वारा स्वयं बताये गये बाबा के अनुभवो में इस विषय का वर्णन नहीं किया गया है. दासगणूकृत भक्तिलीलामृत के अलावा संतकथामृत का पाठ बाबा के समक्ष नहीं किया जाता था.

भक्तिसारामृत ग्रंथ, जिसमें बाबा के गुरू और बाबा के जन्म की कथा है, वो भी श्री साईं के महानिर्वाण के बाद लिखा गया था. श्री साईसच्चरित ग्रंथ भी अध्याय 53 ओवी 179 अनुसार वर्ष 1929 से 1929 इस कालखंड के दौरान यानी बाबा के महासमाधी के बाद ही लिखा गया है. साईं के कथित जन्म स्थान के खोजकर्ता वि.बी.खेर का दावा है कि गोपालराव महाराज, जिन्हें दासगणू महाराज बाबा का गुरु कहते हैं, वो बाबा के गुरु नहीं हो सकते है.

दासगणू महाराज की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने द इटरनल साक्षी इस प्रकरणमें बाबा के गुरु सूफी फकीर रहे होंगे यह बात लिखी है. श्रीपादवल्लभचरित्रामृत में लिखा है कि बाबा का जन्म पाथरी में हुआ था, लेकीन बाबा के जन्म स्थान के रूप में पाथरी का उल्लेख पेहली बार वर्ष 1925 में साईलीला पत्रिका के माध्यम से ही किया गया था. भक्ति सारामृतकार दासगणु महाराज और महाराज के अनुभवो के लेखक काका साहेब दीक्षित जिन्होंने साईं सच्चरित्रका उपोद्धात भी लिखा था, इन दोनो द्वारा लिखे गये वाङ्मय में श्री साईंबाबा का जन्म पाथरी के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था

यह बात बाबाके महानिर्वाणपश्चात लिखी गई है. आगे इस वाङ्मय से प्रेरित लेख नही अनेक लेखको द्वारा किया गया है. मगर 1925 से पेहले बाबा के जन्म स्थान के विषय में कोई भी जानकारी प्रकाशित नही हुई. जून 2014 में द्वारका और ज्योतिष पीठके शंकराचार्य जगद्गुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईबाबा की पूजा नही करनी चाहिए यह बयान साझा किया. इस बयान से प्रेरित होकर बाबा चांद मिया थे ऐसी असत्य एवं तथ्यहीन बाते केहकर बाबाकी छवि धुमिल करनेका प्रयास आज भी जारी है.

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ऐसी अनेक अफवाओ से आहत होते हुए भी, सकलमतो का आदर करने वाला साई भक्त आज श्रद्धा और सबुरी लेकर शांती के पथ पर अग्रसर है. श्री साई के समकालीन सरकारी दस्तावेजों में श्री साई बाबा का वर्णन अवलिया के रूप में किया गया है. उस समय, खुफिया एजेंसी और अधिकारियों द्वारा लिखी रिपोर्ट एवं आदेशों में स्पष्ट किया था कि श्री साईं बाबा का मूल अज्ञात है.

अतः बाबा के जन्म के बारे में कहीं भी कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं मिल सकती है ये अधिकृत जानकारी ” जन्म बाबांचा कोण्या देशी । अथवा कोण्या पवित्र वंशी । कोण्या मातापितरांच्या कुशी । हे कोणासी ठावे ना ।। ” इस मराठी मूल श्री साईसच्चरित के अध्याय 4 ओवी 113 में बताई गयी है.

साईं बाबा के माता पिता | sai baba date of birth and death

जन्म तिथि एवं स्थान की तरह ही साईं के माता-पिता के बारे में भी प्रमाणिक रूप से कुछ भी ज्ञात नहीं है. श्री सत्य साईं बाबा द्वारा दिये गये पूर्वोक्त विवरण के अनुरूप उनके पिता का नाम श्री गंगा बावड़िया एवं उनकी माता का नाम देवगिरि अम्मा माना जाता है. ये दोनों शिव-पार्वती के उपासक थे तथा शिव के आशीर्वाद से ही उनके संतान हुई थी.

कहा जाता है कि जब साईं अपनी माँ के गर्भ में थे उसी समय उनके पिता के मन में ब्रह्म की खोज में अरण्यवास की अभिलाषा तीव्र हो गयी थी. वे अपना सब कुछ त्याग कर जंगल में निकल पड़े थे. उनके साथ उनकी पत्नी भी थी. मार्ग में ही उन्होंने बच्चे को जन्म दिया था और पति के आदेश के अनुसार उसे वृक्ष के नीचे छोड़ कर चली गयी थी. एक मुस्लिम फकीर उधर से निकले जो निःसंतान थे. उन्होंने ही उस बच्चे को अपना लिया और प्यार से ‘बाबा’ नाम रखकर उन्होंने उसका पालन-पोषण किया था.

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temple of Shirdi

साईं बाबा का बचपन एवं चाँद पाटिल का आश्रय

बाबा का लालन-पालन एक मुसलमान फकीर के द्वारा हुआ था, परंतु बचपन से ही उनका झुकाव विभिन्न धर्मों की ओर था लेकिन किसी एक धर्म के प्रति उनकी एकनिष्ठ आस्था नहीं थी. कभी वे हिन्दुओं के मंदिर में घुस जाते थे तो कभी मस्जिद में जाकर शिवलिंग की स्थापना करने लगते थे. इससे न तो गाँव के हिन्दू उनसे प्रसन्न थे और न मुसलमान निरंतर उनकी शिकायतें आने के कारण उनको पालने वाले फकीर ने उन्हें अपने घर से निकाल दिया.

साईं के जितने वृत्तांत प्राप्त हैं वे सभी उनके किसी न किसी चमत्कार से जुड़े हुए हैं. ऐसे ही एक वृत्तांत के अनुसार औरंगाबाद जिले के धूप गाँव के एक धनाढ्य मुस्लिम सज्जन की खोयी घोड़ी बाबा के कथनानुसार मिल जाने से उन्होंने प्रभावित होकर बाबा को आश्रय दिया और कुछ समय तक बाबा वहीं रहे.

साईं बाबा पहली बार शिरडी कब आए थे ? | shirdi sai baba temple

चामत्कारिक कथा के तौर पर ही कहा जाता है कि बाबा पहली बार 16 वर्ष की उम्र में शिरडी में एक नीम के पेड़ के तले पाये गये थे. उनके इस निवास के बारे में कुछ चामत्कारिक कथाएँ प्रचलित हैं. कुछ समय बाद वे वहाँ से अदृश्य हो गये थे. पुनः शिरडी आने एवं उसे निवास स्थान बनाने के संदर्भ में कथा है

कि चाँद पाटिल के आश्रय में कुछ समय तक रहने के बाद एक बार पाटिल के एक निकट सम्बन्धी की बारात शिरडी गाँव गयी जिसके साथ बाबा भी गये. विवाह संपन्न हो जाने के बाद बारात तो वापस लौट गयी परंतु बाबा को वह जगह काफी पसंद आयी और वे वही एक जीर्ण-शीर्ण मस्जिद में रहने लगे और जीवनपर्यन्त वहीं रहे.

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साई बाबा को कब हुई ‘साईं’ नाम की प्राप्ति | shirdi sai baba temple

कहा जाता है कि चाँद पाटिल के सम्बन्धी की बारात जब शिरडी गाँव पहुँची थी तो खंडोबा के मंदिर के सामने ही बैल गाड़ियाँ खोल दी गयी थीं और बारात के लोग उतरने लगे थे. वहीं एक श्रद्धालु व्यक्ति म्हालसापति ने तरुण फकीर के तेजस्वी व्यक्तित्व से अभिभूत होकर उन्हें ‘साईं’ कहकर सम्बोधित किय था. इसके बाद धीरे-धीरे शिरडी में सभी लोग उन्हें ‘साईं’ या ‘साईं बाबा’ के नाम से ही पुकारने लगे और इस प्रकार वे ‘साईं’ नाम से प्रसिद्ध हो गये थे.

साईं बाबा की धार्मिक मान्यता | shirdi sai baba temple In Hindi

साईं बाबा का पालन-पोषण मुसलमान फकीर के द्वारा हुआ था और बाद में भी वे प्रायः मस्जिदों में ही रहे. उन्हें लोग सामान्यतया मुस्लिम फकीर के रूप में ही जानते थे. वे निरंतर अल्लाह का स्मरण करते थे. वे ‘अल्लाह मालिक’ कहा करते थे. हालाँकि उन्होंने सभी धर्मों की एकता पर बल दिया है और विभिन्न धर्मावलंबियों को अपने आश्रय में स्थान देते थे.

उनके अनुयायी हिन्दू और मुसलमान दोनों थे. उनके आश्रयस्थल (द्वारकामाई ) में हिन्दुओं के विभिन्न धार्मिक पर्व भी मनाये जाते थे और मुसलमानों के भी उन्होंने हिन्दू धर्म-ग्रन्थों के अध्ययन को भी प्रश्रय दिया था उस समय भारत के कई प्रदेशों में हिन्दू-मुस्लिम द्वेष व्याप्त था, परंतु उनका संदेश था :

“राम और रहीम दोनों एक ही हैं और उनमें किंचित् मात्र भी भेद नहीं है। फिर तुम उनके अनुयायी होकर क्यों परस्पर झगड़ते हो। अज्ञानी लोगों में एकता साधकर दोनों जातियों को मिलजुल कर रहना चाहिए।”

साईं बाबा मंदिर के लिए प्रसाद | Sai Baba Temple Prasad

यहाँ बाबा का दर्शन और आरती पूजन के बाद प्रसाद के रूप में बूंदी के लड्डू, खिचड़ी, बाबा की उदी इत्यादि मिलता है.

साईं बाबा मंदिर में आरती का समय | Shirdi Temple Timing | Programme

बाबा जी का मन्दिर भोर में 4:00 बजे दर्शन के लिए खोल दिया जाता है और रात्रि में 10:30 के बाद मन्दिर का पट बन्द कर दिया जाता है. मुख्य समाधि मन्दिर में कुल 5 बार साईं बाबा की आरती किया जाता है. आप आरती की बुकिंग श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डी के आधिकारिक वेबसाइट पर जा कर बुक कर सकते है.

श्री साईं बाबा मंदिर में आरती का समय | Shirdi Sai Temple Timings

  • भूपाली आरती- 4:15 बजे (At Morning)
  • काकड़ आरती- 4:30 (At Morning)
  • मध्यान आरती- 12:00 बजे (At Noon)
  • धूप आरती- सूर्यास्त के बाद (At Evening)
  • सेज आरती- 10:30 बजे (At Night)

आरती की बुकिंग ऑनलाइन कैसे करें ? | shirdi sai baba online booking

श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डी के आधिकारिक वेबसाइट online.sai.org.in पर अपने सुविधा के अनुसार आरती में शामिल होने के लिए बुकिंग कर सकते है. इस साइट पर आप दान, रुकने के लिए स्थान (ट्रस्ट की ओर से) और लाइव दर्शन की भी बुकिंग कर सकते है.

Note: ध्यान दी कि विगत वर्षों में मन्दिर (समाधि स्थल) के दर्शन के लिए सबसे जरूरी बात यह हैं कि-

  • अपना एक ID PROOF जैसे- आधार कार्ड, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य कोई केंद्रीय या राज्य स्तरीय पहचान पत्र इनमें से कम से कम एक होना चाहिये. ताकि मन्दिर परिसर में प्रवेश करने से पहले- पर्ची काउंटर से उपरोक्त पहचान पत्र के आधार पर प्रवेश पर्ची (ENTRY PASS) जरूर बनवा ले. यह पर्ची ट्रस्ट की ओर से पूरी तरह से निःशुल्क बनती है.
  • जो भी भक्त 8 वर्ष से ऊपर के हो, वे चाहे पुरुष हो या फिर महिला मन्दिर में प्रवेश करने के लिए उनके परिधान अर्थात पहने हुए कपड़े खास तौर से नीचे वाले सभी कपड़े घुटने से नीचे ऐड़ी तक के पहने हुए होने चाहिए.

जैसे कि हाफ पैंट, कैप्री, स्कर्ट, हाफ जीन्स या अन्य कोई भी वस्त्र पुरुष और महिलाओं को जो अधूरे और टाइट फिटिंग के हो नही पहने हुए होने चाहिए. आप पैजामा, धोती, पूरा पैंट, साड़ी, पैजमी, इत्यादि जैसे पूरे कपड़े से ढके होने वाले ही वस्त्र पहने हुए चाहिये. यदि ऐसा नही करते है तो आप को प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया जा सकता हैं. इस प्रकार दर्शन के लिए मामूली सा नियमो में बदलाव किया गया हैं, जरूर से ध्यान दे क्योंकि हम नही चाहते है कि कोई समस्या आये और आपकी यात्रा में बाधा बन जाये.

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बाबा की पालकी | Sai Baba Ki Palki

प्रत्येक गुरुवार को शाम में बाबा की पालकी निकाली जाती है, जिसमें हज़ारो लोग शामिल होते है. इस पालकी को शिरडी नगर में घुमा कर द्वारकामाई लाया जाता है. आपको हम यह बता दे कि साईं बाबा का विशेष दिन गुरुवार(बृहस्पतिवार) को कहते हैं. हिन्दू मान्यता और सनातन धर्म में साधु, गुरु या संतो के विशेष पूजा के लिए बृहस्पतिवार(गुरुवार) के दिन की मान्यता होती है.

शिरडी में दर्शन किये जाने वाले अन्य स्थान | All About Shirdi and Sai Baba in Hindi

द्वारकामाई | Shirdi temple to Dwarkamai distance

बाबा की समाधि के निकट में ही द्वारकामाई की चावड़ी है, जहाँ बाबा जी विश्राम किया करते थे.

अब्दुल्ला बाबा का मज़ार

साईं बाबा के समाधि मन्दिर के कैम्पस में ही अब्दुल्ला बाबा की मज़ार है, यह साईं बाबा के प्रिय भक्त में शुमार थे.

साईं बाबा संग्रहालय

बाबा के जीवन पर आधारित संग्रहालय है, जहाँ बाबा जी से सम्बंधित वस्तुओं और उपदेशों का तथा बाबा जी पर लिखी गई पुस्तकों का जिक्र किया गया है.

प्रसादालय | Shirdi Prasadalaya location

समाधि से 1 से 1.5 KM की दूरी पर प्रसादालय है, जहाँ कम से कम एक बार मे 10000 लोग आराम से भोजन ग्रहण कर सकते है. यह भोजनालय ट्रस्ट की ओर से संचालित होता है. सभी को भोजन मिले इसके लिए ट्रस्ट की ओर से मामूली रुपये का कूपन दिया जाता है. कभी कभी कोई भक्त भोजनालय में दान करता है तो वो भी कूपन फ्री हो जाता है.

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वाटर पार्क | shirdi temple to water park distance

मंदिर से लगभग 5 KM की दूरी पर वाटर पार्क स्थित हैं, जो टिकट आधारित मनोरंजन स्थान है अर्थात यदि आप फैमिली के साथ एन्जॉय करना चाहते है तो आपको प्रति व्यक्ति शुल्क देना होगा.

शिरडी से अलग दर्शनीय स्थल

शिरडी और उसके आस पास घूमने के लिए बहुत सारे अद्भुत स्थान है जिसे आप आसानी से देख सकते हैं क्योंकि यहाँ यातायात कोई समस्या नहीं है इस लिए आपको इन स्थानों को घूमने के भी कोई परेशानी नहीं होगी.

शनि शिंगणापुर | shirdi temple to shani shingnapur distance

शिर्डी से मात्र 72 KM की दूरी पर शनि भगवान का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। अगर आप शिरडी जाए तो शनि भगवान का दर्शन करने के लिए शनि शिंगणापुर जरूर जाये।

नासिक | Shirdi Sai Baba Temple Nashik distance

शिरडी से मात्र 90 KM की दूरी पर प्राचीन नगरी नासिक है, जो गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। यहाँ पर प्रत्येक 12 वर्ष पर महाकुंभ मेला लगता है. बाकी यहाँ पंचवटी और राम लक्ष्मण सीता मन्दिर प्रसिद्ध हैं.

शिर्डी कब जाये? | When to go to Shirdi?

आप शिर्डी कभी भी जा सकते है, परन्तु मई और जून में ज्यादा गर्मी पड़ती है तो जुलाई से अप्रैल तक कभी भी जा सकते है. एक बात का ध्यान जरूर दे कि यदि भीड़ से बचना चाहते है तो शिर्डी गुरुवार यानी बृहस्पतिवार को कभी न जाये मंदिर में दर्शन के लिये क्योंकि और दिन के अपेक्षा भक्तों की भीड़ रहती हैं. किसी भी त्योंहार के दिन जैसे होली, दशहरा, दीपावली, महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन , गुरुपूर्णिमा या 1 जनवरी (Happy New Year) के दिन जाने से बचें क्योंकि इन दिनों में भी भीड़ होती है.

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शिरडी कैसे पहुँचे? | How to reach Shirdi?

शिर्डी मनमाड-अहमदनगर-पुणे मार्ग पर स्थित हैं, जो भारत के सभी प्रमुख नगरों से सीधे जुड़ा हुआ है.

प्रमुख नगरों से दूरी | Shirdi Sai Baba Temple distance

  • मुम्बई से- 242 KM
  • नासिक – 90 KM
  • मनमाड – 62 KM
  • भुसावल – 238 KM
  • जलगांव – 213 KM
  • अहमदनगर – 85 KM
  • सोलापुर – 355 KM
  • पुणे – 185 KM
  • धुले – 145 KM
  • इंदौर – 410 KM
  • रतलाम – 480 KM
  • हैदराबाद – 635 KM
  • जबलपुर – 891 KM
  • अम्बिकापुर – 1265 KM
  • वाराणसी – 1310 KM
  • लखनऊ – 1200 KM
  • नई दिल्ली – 1250 KM
  • प्रयागराज – 1210 KM
  • पटना – 1595 KM
  • नांदेड़ – 400 KM
  • कोलकाता – 1825 KM
  • चेन्नई – 1270 KM

समीप का रेलवे स्टेशन | shirdi temple to railway station distance

शिरडी के नज़दीक का रेलवे स्टेशन ‘साईंनगर शिर्डी’ मात्र 3 KM की दूरी पर जबकि 15 KM की दूरी पर दूसरा रेलवे स्टेशन ‘कोपरगाँव’ है, चूंकि ये दोनों स्टेशन छोटे है. यह दोनों स्टेशन मनमाड-पूणे रेल मार्ग पर स्थित हैं और यहाँ प्रमुख ट्रेनों का ठहराव हैं. शिर्डी नगर से सबसे नजदीक में बड़ा रेलवे स्टेशन मनमाड जंक्शन हैं, जो हावड़ा-पटना-इटारसी-भुसावल-मुम्बई रेल मार्ग पर स्थित है. यहाँ सभी ट्रेनों का ठहराव हैं. यहाँ से आप टैक्सी या बस से आसानी से शिर्डी पहुँच सकते है. अगर बात करें समीप के हवाई अड्डे की तो पुणे और मुम्बई है.

शिरडी में रुकने का स्थान | places to stay in shirdi Online Booking

शिर्डी में रुकने के लिए कई छोटे और बड़े होटल है, खास बात आपको यहाँ जरूर देखने को मिलेगी की सभी होटलो के नामो में या तो शुरुआत में या फिर अंत मे ” साईं ” शब्द जुड़ा हुआ होता है. आप होटल की बुकिंग ऑनलाइन या जा कर बुक कर सकते हैं. एक बात और हम बताना चाहेंगे कि श्री साईं संस्थान ट्रस्ट, शिर्डी की तरफ से कई ” भक्त निवास ” नाम से होटल बने हुए हैं, जो आप जा कर या ट्रस्ट के वेबसाइट से ऑनलाइन बुक कर सकते है.

Note: एक बात जरूर याद रखे कि भक्त निवास में केवल फैमिली की बुकिंग होती है और कोई भी बुकिंग मात्र दो दिन अर्थात 48 घण्टे के लिए ही होती है. अगर आपका ट्रिप ज्यादा दिन का है तो आपको पुनः दूसरे होटल में बुकिंग करानी होगी. वैसे समय-समय पर बुकिंग के नियम बदलते रहते है.

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शिरडी में खान पान की व्यवस्था | shirdi sai baba temple food booking

यहाँ आपको हर प्रकार के भोजन चाहे दक्षिण व्यंजन या उत्तर भारतीय भोजन का अच्छा और सस्ता रेस्टोरेंट मिल जायेगा. सभी रेस्टोरेंट में फैमिली के साथ ब्रेकफ़ास्ट, लंच, डिनर करने की व्यवस्था होती है. एक और बात की आप अपने बजट को कम करना चाहे तो संस्थान ट्रस्ट की तरफ से चलने वाले प्रसादालय में भोजन की सुविधा मिलती है. यहाँ तक कि यदि आप नाश्ता करना चाहते है तो संस्थान के काउंटर से कूपन कटा कर कम रुपये में चाय, काफी, बिस्किट, पूड़ी-सब्जी, मिनरल वाटर इत्यादि ले सकते हैं.

शिरडी से खरीदारी क्या करें? | What to buy from Shirdi?

आप यहाँ से सुंदर-सुंदर साईं बाबा की मूर्ति जो आपको कई आकर के मिल जायेंगे खरीद सकते है, ये मूर्ति संगमरमर की बनी होती हैं। संस्थान ट्रस्ट के काउंटर से लड्डू प्रसाद को खरीद सकते हैं, जो टेस्ट में बहुत ही अच्छा होता है और सबसे बड़ी बात की यह साईं बाबा के प्रसाद के रूप में शामिल किया जाता हैं. शहर से बाहर जाने पर अमरूद, अनार, गन्ने का रस, नारियल भी आपको अच्छे रेट में मिल जायेंगे. यहाँ के मूंगफली जिसे स्थानीय भाषा मे सिंगदाना बोलते है अच्छी वैरायटी के मिलते है.

आपको इस लेख में शिरडी साईं बाबा मंदिर कहां है, शिरडी साईं बाबा मंदिर का इतिहास, shirdi sai baba temple, शिरडी वाले साईं बाबा का मंदिर कहां है, मुंबई से शिरडी कितने किलोमीटर है, shirdi sai baba temple Timeing, शिरडी साईं मंदिर दर्शन का समय, साईं बाबा मंदिर शिरडी, sai baba date of birth and death, शिरडी का इतिहास, shirdi sai baba online booking, साईं बाबा समाधि स्थल मंदिर, श्री साईं बाबा मंदिर में आरती का समय, शिरडी कैसे पहुँचे?, शिर्डी कब जाये?, shirdi sai baba darshan, शिरडी में रुकने का स्थान से जुडी जानकारी को दिया गया है.

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