मेहंदीपुर बालाजी मंदिर : दर्शन समय, इतिहास, कैसे जाएं और नियम की पूरी जानकारी

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mehandipur balaji temple open And Close Time: मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर राजस्थान राज्य की तहसील सिकराय में स्थित हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मन्दिर है. और भारत के कई भागों में हनुमान जी को बालाजी कहते हैं. यह स्थान दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ बहुत आकर्षक दिखाई देता है. यहाँ की शुद्ध जलवायु और पवित्र वातावरण मन को बहुत आनंद प्रदान करती है. मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने के लिए गेट 7:00 बजे खुल जाता है. इसके बाद आप समय अनुसार मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में जाकर के दर्शन कर सकते है.

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Mehandipur Balaji

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर : दर्शन समय, इतिहास, कैसे जाएं और नियम की पूरी जानकारी

यहाँ तीन देवों की प्रधानता है श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव कोतवाल. यह तीन देव यहाँ आज से लगभग 1008 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे. इनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर सेवा-पूजा कर चुके हैं और अब तक इस स्थान के तीन महंत इस समय भी विद्यमान हैं. सर्व श्री गणेशपुरी जी महाराज (सर्वप्रथम सेवक) श्री किशोरपुरी जी महाराज (पूर्व सेवक) और श्री नरेशपुरी जी महाराज (वर्तमान सेवक).

mehandipur balaji temple के उत्थान का युग श्री गणेशपुरी जी महाराज के समय से प्रारम्भ हुआ और अब दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. प्रधान मंदिर का निर्माण इन्हीं के समय में हुआ. सभी धर्मशालाएँ इन्हीं के समय में बनीं. इस प्रकार इनका सेवाकाल श्री बालाजी घाटा मेंहदीपुर के इतिहास का स्वर्ण युग कहलाएगा. शुरुआत में यहाँ घोर बीहड़ जंगल था. घनी झाड़ियों में द्रोर-चीते, बघेरा आदि जंगली जानवर पड़े रहते हैं.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आरती का समय

आरती का समय : गर्मी के मौसम में

श्री राम दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:00 से 6:15
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:00 से 7:15
श्री बाला जी दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:15 से 6:45
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:15 से 7:45

आरती का समय : सर्दी के समय में

श्री राम दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:10 से 6:25
शीत कालीन: शाम 6:20 से 6:35
श्री बाला जी दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:25 से 6:55
शीत कालीन: शाम 6:35 से 7:05

आरती के संपूर्ण होने पर श्री बाला जी महाराज के जयकारों से पूरा मेहंदीपुर धाम गूँज उठता है और कुछ ही समय पश्चात श्री बाला जी महाराज के जल के छींटे मिलते है. छींटे मिलने के कुछ समय बाद श्री बाला जी महाराज जी के छप्पन भोग का प्रसाद वितरित किया जाता है.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में मूर्तियों की बनावट | mehandipur balaji temple

वास्तव में इस मूर्त्ति को अलग से किसी कलाकार ने गढ़ कर नहीं बनाया है, अपितु यह तो पर्वत का ही अंग है और यह समूचा पर्वत ही मानों उसका ‘कनक भूधराकार’ द्रारीर है. इसी मूर्त्ति के चरणों में एक छोटी-सी कुण्डी थी, जिसका जल कभी बीतता ही नहीं था. रहस्य यह है कि महाराज की बायीं ओर छाती के नीचे से एक बारीक जलधारा निरन्तर बहती रहती है जो पर्याप्त चोला चढ़ जाने पर भी बंद नहीं होती है. इस प्रकार से यहाँ तीनों देवों की स्थापना हुई थी.

विक्रमी-सम्वत् 1979 में श्री महाराज ने अपना चोला बदला गया था. उतारे हुए चोले को गाड़ियों में भरकर श्री गंगा में प्रवाहित करने हेतु बहुत से श्रद्धालु चल दिये थे. चोले को लेकर जब मंडावर रेलवे स्टेशन पर पहुँचे तो रेलवे अधिकारियों ने चोले को सामान समझकर सामान-शुल्क लेने के लिए उस चोले को तौलना चाहा, किन्तु वे तौलने में असमर्थ रहे थे.

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Mehandipur Balaji 1

चोला तौलने के क्रम में वजन कभी एक मन बढ़ जाता तो कभी एक मन घट जाता; अन्तत: रेलवे अधिकारी ने हार मान लिया और चोले को सम्मान सहित गंगा जी को समर्पित कर दिया गया था. उस समय हवन, ब्राह्मण भोजन एवं धर्म ग्रन्थों का पारायण हुआ और नये चोले में एक नयी ज्योति उत्पन्न हुई, जिसने भारत के कोने-कोने में प्रकाश फैला दिया था.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नियम | mehandipur balaji temple Rules

  • बालाजी महाराज के दर्शन हेतु मेंहदीपुर जाने से कम से कम एक सप्ताह पहले आपको मांस , अण्डा , शराब आदि तामसिक चीजों को छोड़ देना चाहिए.
  • सर्वप्रथम बालाजी महाराज के दर्शन से पूर्व प्रेतराज सरकार के दर्शन और प्रेतराज चालीसा का पाठ करना चाहिए.
  • इसके बाद बालाजी महाराज के दर्शन और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
  • सबसे अन्त में कोतवाल भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए.
  • मंदिर में किसी से कोई भी चीज़ यहां तक कि प्रसाद भी न लें और न ही किसी को कोई भी चीज़ जैसे प्रसाद न दें.
  • आते तथा जाते समय भूल से भी पीछे मुड़कर न देखें.
  • आने और जाने की दरखास्त लगाकर जाएं क्योंकि बाबा की आज्ञा से ही कोई मेंहदीपुर में आ तथा जा सकता है.

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के देवताओं के भोग और प्रसाद | mehandipur temple

  • बालाजी महाराज – बालाजी महाराज मेंहदीपुर के राजा और भगवान शिव के अवतार हैं. इनके समक्ष ही बुरी आत्माओं की पेशी लगती है. बालाजी महाराज को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है.
  • भैरव कोतवाल – भैरव बाबा बालाजी महाराज की सेना के सेनापति और भगवान शिव के ही अवतार हैं. इसी कारण इन्हें कोतवाल कप्तान भी कहा जाता है. इन्हें उड़द की दाल से बनी चीजों का भोग प्रिय है. खास कर उड़द की दाल से बने दही भल्ले और मिठाइयों में इन्हें जलेबी और गुलगुले का भोग विशेष प्रिय है.
  • प्रेतराज सरकार – प्रेतराज सरकार बालाजी महाराज के दरबार के दण्डनायक हैं. ये ही बुरी आत्माओं को दण्ड देने का अधिकार रखते हैं. इन्हें पके हुए चावलों और खीर का भोग लगता है.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने का रास्ता और साधन | mehandipur balaji kaise jaye

राजस्थान राज्य के दो जिलों (करौली व दौसा) में विभक्त घाटा मेंहदीपुर स्थान दिल्ली-जयपुर-अजमेर-अहमदाबाद लाइन पर स्थित बाँदीकुई जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 की.मी. की दूरी पर स्थित है जो की मेहंदीपुर बालाजी से सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन है. बांदीकुई जंक्शन से मेहंदीपुर बालाजी धाम के लिए 24 घंटे बस, जीप, टैक्सी आदि की सुविधा उपलब्ध है. आगरा, मथुरा, वृन्दावन, अलीगढ़ आदि से सीधी बसें जो जयपुर जाती हैं वे सभी मेहंदीपुर बालाजी के मोड़ पर रूकती हैं.

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मेहंदीपुर बालाजी के आस पास घूमने की जगह | mehandipur balaji ke aas paas ghumne ki jagah

अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की यात्रा करने की सोच रहेह है तो ऐसे में भगवान बालाजी महाराज का दर्शन करने की साथ साथ मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के आसपास की प्रसिद्ध जगहों पर घूमना भी चाहेंगे. जहां पर आपको बेहद शांति और आनंद का अनुभव होगा. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के आसपास कई मंदिर है जहां पर आप को दर्शन करने जरुर जाना चाहिए.

जिसमे मेहंदीपुर बालाजी के आस पास घूमने की जगह अंजली माता मंदिर, तीन पहाड़ पर स्थित काली माता जी का मंदिर, गणेश जी का मंदिर जो कि सात पहाड़ पर स्थित है, पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर. इसके अलावा यहीं पर आपको समाधि वाले बाबा का स्थान मिल जाएगा, जहां पर लोग दर्शन करने जाते हैं. क्योंकि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के आस पास सबसे पहले महंत बाबा की समाधि है.

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Mehandipur Balaji 2

यहाँ पर हनुमान जी का बना हुआ यह मूर्ति काफी विशालकाय है. आप इस तस्वीर को देखकर समझ सकते हैं, कि व्यक्ति हनुमान जी की मूर्ति के सामने कितना छोटा छोटा दिख रहा है. इसलिए जब भी आप मेहंदीपुर बालाजी जाएं तो इस स्थान पर बना विशालकाय हनुमान जी की मूर्ति देख व अपनी सेल्फी ले सकते है.

मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन कैसे करें? | mehandipur balaji ke darshan kaise kare

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में अर्जी लगाना भी बालाजी का दर्शन करना ही हुआ, लेकिन जब आप सुबह मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने जाते हैं तो दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की काफी लंबी लाइन लगती है. इसलिए जब भी आप सुबह के टाइम मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने जाएं तो जल्दी जाने की कोशिश करें ताकि आपका नंबर जल्दी आ जाए. मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने के लिए गेट 7:00 बजे खुल जाता है.

इसके बाद लाइन में लगे सभी श्रद्धालु हाथ में लड्डू लेकर बालाजी महाराज का दर्शन करने के लिए धीरे धीरे एक कतार में आगे बढ़ते हैं. बालाजी महाराज का दर्शन करने के बाद दान पेटी में कुछ पैसे डालने के बाद दूसरी मंजिल पर चले जाना हैं, वहां पर भी भैरव काल का दर्शन करने के बाद दूसरी गेट से बाहर निकल आना हैं.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का दर्शन करने के बाद आसपास आपको और भी देवी-देवताओं जैसे काली माता, काल भैरव, आदि का मंदिर भी मिल जाता है. जहां पर आप को दर्शन करना चाहिए. जब आप पहाड़ी पर काली माता का दर्शन करने जाएं, तो 120 रुपए के नींबू और नारियल, चुनरी लेकर अपने ऊपर बाधा को पुरोहित के द्वारा कटवा सकते हैं.

ऐसा माना जाता है कि मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने के दौरान आप जितना प्रसाद चढ़ाते हैं उस प्रसाद को घर नहीं ला सकते हैं. वह प्रसाद वहीं पर खाकर खत्म करना होता है, और जो व्यक्ति जितना प्रसाद चढ़ाया है उसे ही वह प्रसाद खाना पड़ता है.

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मेहंदीपुर बालाजी अर्जी लगाने का तरीका | mehandipur balaji ki arji kaise lagaye

मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने जो भी श्रद्धालु जाते हैं उन्हें सबसे पहले बालाजी मंदिर में अर्जी लगानी होती है. ऐसा माना जाता है की अर्जी लगाने से श्रद्धालु के ऊपर भूत प्रेत आदि का जो साया होता है, वह हट जाता है. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में आप अर्जी आप सुबह 7:00 बजे के बाद और शाम को 3:00 बजे के बाद लगा सकते हैं.

इसके लिए आपको बालाजी मंदिर के आस पास बहुत से दुकानें मिल जाएंगी, जहां से आपको अर्जी का सामान ले लेना है. अर्जी के सामान के अंतर्गत आपको एक नारियल, अगरबत्ती, मिश्री, आदि चीजें दी जाती हैं. जिसकी कीमत लगभग 100 रुपए होती है. अर्जी का सामान दुकान से लेने के बाद आपको बालाजी मंदिर धाम में प्रवेश करना है, गेट पर ही आपसे मंदिर सहायक कर्मियों द्वारा अर्जी का सामान ले लिया जाता है.

इसके बाद आपको मेहंदी बालाजी के दर्शन करने को मिलते हैं, मेहंदी बालाजी का दर्शन करने का समय बहुत कम होता है, इसीलिए एक झलक बालाजी का दर्शन करें दान पेटी में अपनी इच्छा अनुसार दान करें और तुरंत आगे बढ़ जाए. मेहंदीपुर बालाजी में प्रवेश करने से लेकर बाहर निकलने तक आपको कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना है.

जब आप बालाजी का दर्शन करने के बाद दूसरे गेट से बाहर निकले, तो आपको फिर से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के मेन गेट पर आ जाना है. और वहीं पर गेट पकड़ कर बैठ जाना है. आंख बंद करके हाथ जोड़कर प्रभु हनुमान जी से अपनी अर्जी लगानी है. यहां पर आपको बहुत से ऐसे लोग मिल जाएंगे जो भूत प्रेत बाधा से परेशान होकर चिल्लाते चीखते रहते हैं. और बहुत से लोग गेट को पकड़कर चिल्ला चिल्ला कर अपनी अर्जी लगाते हैं.

इसके बाद शाम को 7:00 बजे मेहंदी बालाजी मंदिर के ठीक सामने राम जानकी मंदिर में नगाड़ा, मजीरा के साथ बहुत ही मधुर धुन में राम जानकी की आरती होती है. इसके बाद मेहंदीपुर बालाजी महाराज की आरती होती है. इसके बाद राम जानकी मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाता है, प्रसाद लेने के बाद आप अपने रूम पर आ सकते हैं.

मेहंदीपुर बालाजी का मेला कब लगता है ? | mehandipur balaji ka mela kab lagta hai

फाल्गुन मास आनंद और उल्लास का महीना कहलाता है. इस महीने में खाटू श्याम मेले के बाद यानी बुधवार से विश्व प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी में पांच दिवसीय होली महोत्सव का आगाज हो गया है. इस महीने में जहां होली और शिवरात्रि जैसे महापर्व मनाए जाते हैं. वहीं धार्मिक स्थलों (मंदिरों ) पर विशेष धूम रहती है. राजस्थान में भी इस महीने बड़े धार्मिक स्थलों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं.

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास | mehandipur balaji mandir ka itihas

आज से 1000 साल पहले मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के स्थान पर बेहद घनी झाड़ियां बसी हुई थी. जहां पर जंगली जानवरों का निवास था. लेकिन एक दिन श्री महंत जी महाराज को सपना आया और वे स्वप्न में उठे और चल पड़े, कहां जा रहे हैं उन्हें पता नहीं. तभी अचानक उन्होंने देखा एक और से हजारों दीपक चलते आ रहे हैं, इसके साथ-साथ हाथी घोड़ों की आवाज आ रही थी. और एक बहुत लंबी फौज चली आ रही थी. उस फौज ने महाराज बालाजी मंदिर की मूर्ति की तीन प्रदक्षिणाएं की, इसके बाद वापस चली गई थी.

यह देखकर महंत जी को आश्चर्य भी हुआ और डर भी लगने लगा, वे अपने गांव चले गए थे लेकिन जब सो गए तो रात में उन्हें स्वप्न में तीन मूर्तियां दिखाई दी और महंत जी के कानों में आवाज आई, उठो और मेरे सेवा का भार संभालो. लेकिन महंत जी समझ नहीं पाए यह कौन कह रहा है. इसके बाद हनुमान जी ने स्वप्न में उन्हें अपना रूप दिखाया और पूजा का आग्रह किया.

इसके बाद महंत जी ने अपने सपने की कहानी गांव वालों को बताया और गांव वालों की मदद से उस स्थान पर खुदाई की गई तो वहां से महाराज बालाजी की मूर्ति प्रकट हुई जिसके बाद आगे जाकर यही स्थान मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के चमत्कार की कहानी | mehandipur balaji mandir ki kahani

मुस्लिम शासन काल में कुछ बादशाहो ने इस बालाजी मूर्ति को नष्ट करने की सोची और वो बालाजी महाराज मूर्ति को उखाड़कर फेंकना चाहते थे. लेकिन मूर्ति की खुदाई के लिए जितना अधिक जमीन खोदी जाती उतना ही मूर्ति का जड़ गहरा होता जाता था. मूर्ति की जड़ कितनी गहरी है यह पता मुस्लिम बादशाह नहीं लगा पाए. और अंत में भगवान बालाजी महाराज का मूर्ति वहां से फेंकने का विचार छोड़ दिया.

इसके बाद सन् 1910 में बालाजी महाराज ने स्वता अपने सैकड़ों वर्ष पुराने चोला का त्याग कर दिया. इस चोले को लेकर श्रद्धालु मंडावर रेलवे स्टेशन पहुंचे, क्योंकि इस चोले को ले जाकर गंगा में प्रवाहित करना था. यहां पर भी घटी एक घटना प्रसिद्ध है, उस समय ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को निशुल्क ले जाने के लिए रोक लिया था और उसका लगेज करने लगे, लेकिन महाराज बालाजी की महिमा चोला कभी ज्यादा भारी दिखाई देता, तो कभी कम भारी दिखाई देगा.

इसलिए ब्रिटिश स्टेशन मास्टर द्वारा चोला का लगेज शुल्क वसूलना मुश्किल हो गया, और उन्हें विवश होकर निशुल्क चोले को जाने देना पड़ा. इसके बाद छत्तीसगढ़ कुछ चोली को ले जाकर गंगा नदी में प्रवाहित करते हैं और महाराज बालाजी को नया चौड़ा चढ़ाया जाता है.

भूत प्रेत ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए विख्यात है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर पूरे विश्व में भूत प्रेत ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए विख्यात है. तंत्र मंत्र ऊपरी भूत प्रेत बाधाओं से ग्रसित व्यक्ति बालाजी महाराज का दर्शन करने के बाद बिना दवा के स्वस्थ होकर खुशी-खुशी घर लौटते हैं. मेहंदीपुर बालाजी आने के बाद आपको तीनों देवगणों को प्रसाद चढ़ाना चाहिए. बालाजी को लड्डू का प्रसाद, प्रेतराज सरकार को चावल का प्रसाद, कोतवाल कप्तान भैरव जी को उड़द का प्रसाद चढ़ाना चाहिए.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान जी का मंदिर है, यह मंदिर भारत के राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है. भगवान बालाजी को हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में स्थापित बालाजी मूर्ति में बाई छाती पर एक छेद है, जिनमें से हमेशा पानी की धार बहती रहती है. इस पानी को एक टैंक में इकट्ठा करके भगवान बालाजी के चरणों में अर्पित करने के बाद इसे श्रद्धालुओं में प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है.

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कैसे जाएं | mehandipur balaji nearest railway station

आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के लिए बस, ट्रेन और हवाई मार्ग के द्वारा जा सकते हैं. लेकिन ज्यादातर यात्री रेलवे द्वारा मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाते हैं. अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ट्रेन से जाते है तो ऐसे में शाहगंज रेलवे स्टेशन से सीधे बांदीकुई रेलवे स्टेशन (राजस्थान) का टिकट निकाल सकते है और यहाँ पर आपको लगभग टिकट निकालने के लिए लगभग 400 रुपए स्लीपर का खर्च आएगा. शाहगंज से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने वाली ट्रेन मरुधर एक्सप्रेस है.

इस प्रकार अगर आप भारत के किसी भी कोने से हो, और ट्रेन के द्वारा मेहंदी बालाजी मंदिर जाने की सोच रहे हैं. तो आपको बांदीकुई रेलवे स्टेशन राजस्थान का टिकट कटाना होगा. बांदीकुई रेलवे स्टेशन से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की दूरी 36 किलोमीटर है. जब बांदीकुई रेलवे स्टेशन से बाहर आएंगे तो वहीं पर आपको टेंपो/फोर व्हीलर वाहन मिल जाएंगे. जो आपको मेहंदीपुर बालाजी मंदिर पहुंचा देंगे.

मेहंदीपुर बालाजी पहुंचने के बाद रहने और खाने की व्यवस्था कैसे करें

अगर आप मेहंदीपुर बालाजी धाम आने के बाद आपको रहने की व्यवस्था के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है क्योकि यहाँ पर श्रद्धालुओं के रुकने के लिए बहुत से धर्मशाला और होटल में कमरे बने हुए हैं. आपको जाकर रहने के लिए कमरा देख लेना है. यहां पर कमरे में रहने के लिए कोई पाबंदी नहीं है, आप अपनी सुविधानुसार चाहे जितने लोग एक ही कमरे में रुक सकते हो.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पास धर्मशाला में एक रात के लिए एक कमरे की कीमत लगभग 500 रुपए होती है. लेकिन आपको कमरे के अंदर पंखा, लाइट, अटैच लेट्रिन बाथरूम दिया जाता है. इसके अलावा कमरे में एक बड़ी सी बेड होती है जिस पर गद्दा बिछा होता है. इसके अलावा 2-3 तकिया भी रखा होता है जिस पर आप आराम से सो सकते हैं.

इसके अलावा अगर हम खाने की व्यवस्था की बात करें, तो आप किसी भी होटल में बेझिझक खाना खा सकते हैं. क्योंकि यहां पर आपको किसी भी होटल में भोजन में लहसुन और प्याज नहीं मिलेगा. लेकिन आपको यहाँ पर होटल में 60 रुपए में दाल, चावल, कड़ी, चटनी, सब्जी, रोटी दी जाती है.

FAQ’s- Mehandipur Balaji Ke Darshan Time

Q: मेहंदीपुर बालाजी की सच्चाई क्या है ?

Ans: श्री महंत जी महाराज को स्वप्न में तीन मूर्तियां दिखाई दी और महंत जी के कानों में आवाज आई, उठो और मेरे सेवा का भार संभालो. लेकिन महंत जी समझ नहीं पाए यह कौन कह रहा है. इसके बाद हनुमान जी ने स्वप्न में उन्हें अपना रूप दिखाया और पूजा का आग्रह किया. इसके बाद महंत जी ने अपने सपने की कहानी गांव वालों को बताया और गांव वालों की मदद से उस स्थान पर खुदाई की गई तो वहां से महाराज बालाजी की मूर्ति प्रकट हुई जिसके बाद आगे जाकर यही स्थान मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा.

Q: मेहंदीपुर बालाजी का मेला कब लगता है ?

Ans:- फाल्गुन मास आनंद और उल्लास का महीना कहलाता है. इस महीने में खाटू श्याम मेले के बाद यानी बुधवार से विश्व प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी में पांच दिवसीय होली महोत्सव का आगाज हो गया है.

Q: मेहंदीपुर बालाजी जाने का रास्ता क्या है ?

Ans: मेहंदीपुर बालाजी से सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन है. बांदीकुई जंक्शन से मेहंदीपुर बालाजी धाम के लिए 24 घंटे बस, जीप, टैक्सी आदि की सुविधा उपलब्ध है. आगरा, मथुरा, वृन्दावन, अलीगढ़ आदि से सीधी बसें जो जयपुर जाती हैं वे सभी मेहंदीपुर बालाजी के मोड़ पर रूकती हैं.

Q: मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन कैसे करें ?

Ans: सबसे पहले बालाजी मंदिर में अर्जी लगानी होती है. ऐसा माना जाता है की अर्जी लगाने से श्रद्धालु के ऊपर भूत प्रेत आदि का जो साया होता है, वह हट जाता है. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में आप अर्जी आप सुबह 7:00 बजे के बाद और शाम को 3:00 बजे के बाद लगा सकते हैं.

Q: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में अर्जी लगाने का समय ?

Ans: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में आप अर्जी आप सुबह 7:00 बजे के बाद और शाम को 3:00 बजे के बाद लगा सकते हैं.

Q: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रसाद कैसे चढ़ाया जाता है ?

Ans: मेहंदीपुर बालाजी आने के बाद आपको तीनों देवगणों को प्रसाद चढ़ाना चाहिए. बालाजी को लड्डू का प्रसाद, प्रेतराज सरकार को चावल का प्रसाद, कोतवाल कप्तान भैरव जी को उड़द का प्रसाद चढ़ाना चाहिए.

Q: मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन का समय 2023 ?

Ans: मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने के लिए गेट 7:00 बजे खुल जाता है. इसके बाद आप समय अनुसार मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में जाकर के दर्शन कर सकते है.

Q: मेहंदीपुर बालाजी के परहेज ?

Ans: अगर अब मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने जाते है तो ऐसे में आपको जाने से 10 दिन पहले से आपको लहसुन, प्याज, मांस, शराब खाना छोड़ देना होगा. इसके बाद जब आप मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करके घर वापस आते हैं, तो 41 दिन तक आपको लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा का परहेज करना होगा| 41 दिन के बाद पंडित को बुलाकर हवन कराएं, इसके बाद लहसुन प्याज मांस मदिरा खा सकते हैं.

Q: मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन के बाद क्या पीछे मुड़कर नही देखना चाहिए ?

Ans: मेहंदीपुर बालाजी में प्रवेश करने से लेकर बाहर निकलने तक आपको कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना है. और ऐसा माना जाता है की मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने के दौरान आप जितना प्रसाद चढ़ाते हैं उस प्रसाद को घर नहीं ला सकते हैं. वह प्रसाद वहीं पर खाकर खत्म करना होता है, और जो व्यक्ति जितना प्रसाद चढ़ाया है उसे ही वह प्रसाद खाना पड़ता है.

Q: मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद क्या घर नही ला सकते है ?

Ans: जी हाँ, ऐसा माना जाता है की मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने के दौरान आप जितना प्रसाद चढ़ाते हैं उस प्रसाद को घर नहीं ला सकते हैं. वह प्रसाद वहीं पर खाकर खत्म करना होता है, और जो व्यक्ति जितना प्रसाद चढ़ाया है उसे ही वह प्रसाद खाना पड़ता है.

Q: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहा है ?

Ans: मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर राजस्थान राज्य की तहसील सिकराय में स्थित हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मन्दिर है.

Q: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नजदीक रेलवे स्टेशन कौनसा है ?

Ans: मेहंदीपुर बालाजी से सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन है. बांदीकुई जंक्शन से मेहंदीपुर बालाजी धाम के लिए 24 घंटे बस, जीप, टैक्सी आदि की सुविधा उपलब्ध है.

Q: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने पर कहां रूके ?

Ans: मेहंदीपुर बालाजी पर श्रद्धालुओं के रुकने के लिए बहुत से धर्मशाला और होटल में कमरे बने हुए हैं. आपको जाकर रहने के लिए कमरा देख लेना है. यहां पर कमरे में रहने के लिए कोई पाबंदी नहीं है, आप अपनी सुविधानुसार चाहे जितने लोग एक ही कमरे में रुक सकते हो.

Q: जयपुर से मेहंदीपुर बालाजी कितना किलोमीटर पड़ता है ?

Ans: जयपुर से मेहंदीपुर बालाजी की दूरी 299 किलोमीटर है.

Q: मेंहदीपुर बालाजी कौन से राज्य में पड़ता है ?

Ans: मेंहदीपुर बालाजी का मंदिर राजस्थान के जिला दौसा, तहसील सिकराय, गांव मेहंदीपुर में पड़ता है.

Q: बांदीकुई रेलवे स्टेशन से बालाजी कितनी दूर है ?

Ans: बांदीकुई रेलवे स्टेशन से बालाजी मंदिर की दूरी 36 किलोमीटर है.

Q: दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी कितने घंटे का रास्ता है ?

Ans: दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने का लगभग 4 घंटे 58 मिनट का रास्ता है.

Q: बालाजी जाने से क्या फायदा होता है ?

Ans: मेंहदीपुर बालाजी मंदिर जाने से ऐसा माना जाता है, जो भी भूत प्रेत ऊपरी बाधाएं होती है वह खत्म हो जाती है.

Q: बालाजी से आने के बाद क्या करें ?

Ans: मेंहदीपुर बालाजी मंदिर से आने के बाद 41 दिन तक सात्विक आहार लेना चाहिए, यानी आपको 41 दिन तक लहसुन प्याज से बने भोजन का त्याग करना पड़ेगा और इसके अलावा मांसाहारी भोजन और शराब से दूर रहना पड़ेगा.

Q: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर खुला है या बंद है ?

Ans:- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर खुला हुआ है क्योंकि मेहंदीपुर बालाजी का दर्शन करने के लिए गेट 7:00 बजे खुल जाता है.

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