स्वर्ण मंदिर का इतिहास : निर्माण कब व किसने, रहस्य, खुलने का समय और अन्य रोचक जानकारी

स्वर्ण मंदिर का निर्माण कब हुआ, golden temple in hindi, अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है, golden temple history in hindi, स्वर्ण मंदिर का इतिहास, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, golden temple amritsar, स्वर्ण मंदिर पर सोने की चादर किसने चढ़ाई, golden temple facts, स्वर्ण मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है, swarna mandir kahan hai, स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया, swarna mandir punjab, स्वर्ण मंदिर खुलने का समय

Golden Temple History In Hindi: स्वर्ण मन्दिर सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है जिसे स्वर्ण मन्दिर और दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है और यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है. पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है. सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने इसकी नींव रखी थी. कुछ स्रोतों में यह कहा गया है कि गुरुजी ने लाहौर के एक सूफी सन्त मियां मीर से दिसम्बर, 1588 में इस गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी.

स्वर्ण मंदिर का निर्माण कब हुआ, golden temple in hindi, अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है, golden temple history in hindi, स्वर्ण मंदिर का इतिहास, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, golden temple amritsar, स्वर्ण मंदिर पर सोने की चादर किसने चढ़ाई, golden temple facts, स्वर्ण मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है, swarna mandir kahan hai, स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया, swarna mandir punjab, स्वर्ण मंदिर खुलने का समय
golden temple in hindi

Table of Contents

स्वर्ण मंदिर का इतिहास | स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी

सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने इसकी नींव रखी थी. कुछ स्रोतों में यह कहा गया है कि गुरुजी ने लाहौर के एक सूफी सन्त मियां मीर से दिसम्बर, 1588 में इस स्वर्ण मंदिर की नींव रखवाई थी. स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है. लेकिन भक्ति और आस्था के कारण हिन्दूओं और सिक्खों ने इसे दोबारा बना दिया था. इसे दोबारा 17वीं सदी में भी महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया द्वारा बनाया गया था. जितनी बार भी यह नष्ट किया गया है और जितनी बार भी यह बनाया गया है उसकी हर घटना को मंदिर में दर्शाया गया है.

अफगा़न हमलावरों ने 19वीं शताब्दी में Golden Temple को पूरी तरह नष्ट कर दिया था. तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजाया था. सन 1984 में हिन्दुस्तान के टुकड़े करने की मंशा रखने वाले एवं सैकड़ों निर्दोष हिन्दू-सिखों के हत्यारे आतंकी भिंडरावाले ने भी आस्था के केंद्र हरमिंदर साहिब पर कब्जा कर लिया था और इसे अपने ठिकाने के रूप में प्रयोग किया था. शुरुआत में आस्था का सम्मान करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने अंदर घुसने से परहेज किया था.

लेकिन 10 दिन तक चले इस संघर्ष में अंततः सेना को अंदर घुसकर ही इस आतंकी को खत्म करना पड़ा था. आतंकी भिंडरावाले और उसके साथियों के पास से पाकिस्तान निर्मित सैकड़ों भारी हथियार जब्त किए गए थे. 2017 में प्रस्तावित ‘शहीद गैलरी’ में ‘AGPC’ ने भिंडरावाले को एक शहीद के रूप में पहचान देकर सबको चौंका दिया और भारत की अखंडता को ठेस पहुँचायी और सभी धर्मों के राष्ट्रवादी लोगो को उनके इस निर्णय से धक्का लगा. हैदराबाद के सातवें निज़ाम – मीर उस्मान अली खान इस मंदिर की ओर सालाना दान दिया करते थे.

स्वर्ण मंदिर का स्थापत्य | Golden Temple History In Hindi

आज से लगभग 400 वर्ष पुराने इस स्वर्ण मंदिर का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था. यह स्वर्ण मंदिर शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल है. इसकी नक्काशी और बाहरी सुंदरता देखते ही बनती है. स्वर्ण मंदिर के चारों ओर दरवाजे हैं, जो चारों दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) में खुलते हैं. उस समय भी समाज चार जातियों में विभाजित था और कई जातियों के लोगों को अनेक मंदिरों आदि में जाने की इजाजत नहीं थी, लेकिन इस Golden Temple के यह चारों दरवाजे उन चारों जातियों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते थे. यहां हर धर्म के अनुयायी का स्वागत किया जाता है.

स्वर्ण मंदिर का परिसर (क्षेत्र) | Golden Temple Amritsar Punjab

Golden Temple परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं, ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं. इस जलाशय को अमृतसर, अमृत सरोवर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है. पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है. स्वर्ण मंदिर में पूरे दिन गुरबाणी (गुरुवाणी) की स्वर लहरियां गूंजती रहती हैं. सिक्ख गुरु को ईश्वर तुल्य मानते हैं.

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले वह मंदिर के सामने सर झुकाते हैं, फिर पैर धोने के बाद सी‍ढ़ि‍यों से मुख्य मंदिर तक जाते हैं. सीढ़ि‍यों के साथ-साथ Golden Temple से जुड़ी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लिखा हुआ है. स्वर्ण मंदिर एक बहुत ही खूबसूरत इमारत है. इसमें रोशनी की सुन्दर व्यवस्था की गई है. मंदिर परिसर में पत्थर का एक स्मारक भी है जो, जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगाया गया है.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर : दर्शन समय, इतिहास, कैसे जाएं और नियम की पूरी जानकारी

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने के लिए चार दरवाजे और उनके नाम

स्वर्ण मंदिर के चार दरवाजे हैं. इनमें से एक द्वार गुरु राम दास सराय का है. इस सराय में अनेक विश्राम-स्थल हैं. विश्राम-स्थलों के साथ-साथ यहां चौबीस घंटे लंगर चलता है, जिसमें कोई भी प्रसाद ग्रहण कर सकता है. स्वर्ण मंदिर में अनेक तीर्थस्थान हैं. इनमें से बेरी वृक्ष को भी एक तीर्थस्थल माना जाता है. इसे बेर बाबा बुड्ढा के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि जब Golden Temple बनाया जा रहा था तब बाबा बुड्ढा जी इसी वृक्ष के नीचे बैठे थे और मंदिर के निर्माण कार्य पर नजर रखे हुए थे.

स्वर्ण मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है | स्वर्ण मंदिर सरोवर

स्वर्ण मंदिर सरोवर के बीच में मानव निर्मित द्वीप पर बना हुआ है. पूरे मंदिर पर सोने की परत चढ़ाई गई है. यह मंदिर एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है. झील में श्रद्धालु स्नान करते हैं. यह झील मछलियों से भरी हुई है. मंदिर से 100 मी. की दूरी पर स्वर्ण जड़ि‍त, अकाल तख्त है. इसमें एक भूमिगत तल है और पांच अन्य तल हैं. इसमें एक संग्रहालय और सभागार है. यहाँ पर सरबत खालसा की बैठकें होती हैं. सिक्ख पंथ से जुड़ी हर मसले या समस्या का समाधान इसी सभागार में किया जाता है.

स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित सभी पवित्र स्थलों की पूजा स्वरूप भक्तगण अमृतसर के चारों तरफ बने गलियारे की परिक्रमा करते हैं. इसके बाद वे अकाल तख्त के दर्शन करते हैं. अकाल तख्त के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु पंक्तियों में स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते हैं. यहाँ दुखभंजनी बेरी नामक एक स्थान भी है. गुरुद्वारे की दीवार पर अंकित किंवदंती के अनुसार कि एक बार एक पिता ने अपनी बेटी का विवाह कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति से कर दिया. उस लड़की को यह विश्वास था कि हर व्यक्ति के समान वह कोढ़ी व्यक्ति भी ईश्वर की दया पर जीवित है.

वही उसे खाने के लिए सब कुछ देता है. एक बार वह लड़की शादी के बाद अपने पति को इसी तालाब के किनारे बैठाकर गांव में भोजन की तलाश के लिए निकल गई. तभी वहाँ अचानक एक कौवा आया, उसने तालाब में डुबकी लगाई और हंस बनकर बाहर निकला. ऐसा देखकर कोढ़ग्रस्त व्यक्ति बहुत हैरान हुआ. उसने भी सोचा कि अगर में भी इस तालाब में चला जाऊं, तो कोढ़ से निजात मिल जाएगी.

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और मंदिर की पूरी जानकारी हिंदी में

उसने तालाब में छलांग लगा दी और बाहर आने पर उसने देखा कि उसका कोढ़ नष्ट हो गया. यह वही सरोवर है, जिसमें आज हर मंदिर साहिब स्थित है. तब यह छोटा सा तालाब था, जिसके चारों ओर बेरी के पेड़ थे. तालाब का आकार तो अब पहले से काफी बड़ा हो गया है, तो भी उसके एक किनारे पर आज भी बेरी का पेड़ है. यह स्थान बहुत पावन माना जाता है. यहां भी श्रद्धालु माथा टेकते हैं.

परंपरा यह है कि यहाँ वाले श्रद्धालुजन सरोवर में स्नान करने के बाद ही गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं. जहां तक इस विशाल सरोवर की साफ-सफाई की बात है, तो इसके लिए कोई विशेष दिन निश्चित नहीं है. लेकिन इसका पानी लगभग रोज ही बदला जाता है. इसके लिए वहां फिल्टरों की व्यवस्था है. इसके अलावा पांच से दस साल के अंतराल में सरोवर की पूरी तरह से सफाई की जाती है. इसी दौरान सरोवर की मरम्मत भी होती है. इस काम में एक हफ्ता या उससे भी ज्यादा समय लग जाता है. यह काम यानी कारसेवा (कार्य सेवा) मुख्यत: सेवादार करते हैं, पर उनके अलावा आम संगत भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है.

स्वर्ण मंदिर में बना हुआ है अकाल तख्त | Golden Temple In Hindi

स्वर्ण मंदिर के बाहर दाईं ओर अकाल तख्त है. अकाल तख्त का निर्माण सन 1609 में किया गया था. यहाँ दरबार साहिब स्थित है. उस समय यहाँ कई अहम फैसले लिए जाते थे. संगमरमर से बनी यह इमारत देखने योग्य है. इसके पास शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समि‍ति‍ का कार्यालय है, जहां सिखों से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं.

स्वर्ण मंदिर में 24 घंटे खुला रहता है श्रद्धालुओं के लिए लंगर | Golden Temple

गुरु का लंगर में स्वर्ण मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने की पूरी व्यवस्था होती है. यह लंगर श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे खुला रहता है. खाने-पीने की व्यवस्था स्वर्ण मंदिर में आने वाले चढ़ावे और दूसरे कोषों से होती है. लंगर में खाने-पीने की व्यवस्था शिरोमणि स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) प्रबंधक समि‍ति‍ की ओर से नियुक्त सेवादार करते हैं. वे यहाँ आने वाले लोगों (संगत) की सेवा में हर तरह से योगदान देते हैं.

अनुमान है कि करीब 40 हजार लोग रोज यहाँ लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं. सिर्फ भोजन ही नहीं, यहां श्री गुरु रामदास सराय में स्वर्ण मंदिर में आने वाले लोगों के लिए ठहरने की व्यवस्था भी है. इस सराय का निर्माण सन 1784 में किया गया था. यहां 228 कमरे और 18 बड़े हॉल हैं. यहाँ पर रात गुजारने के लिए गद्दे व चादरें मिल जाती हैं. एक व्यक्ति की तीन दिन तक ठहरने की पूर्ण व्यवस्था है.

सालासर मंदिर कितने बजे खुलता है | (दर्शन और आरती टाइम टेबल जाने)

स्वर्ण मंदिर के नजदीकी गुरुद्वारे और अन्य दर्शनीय स्थल (Golden Temple)

स्वर्ण मंदिर के पास गुरुद्वारा बाबा अटल और गुरुद्वारा माता कौलाँ है. इन दोनों गुरुद्वारों में पैदल पहुंचा जा सकता है. इसके पास ही गुरु का महल नामक स्थान है. यह वही स्थान है जहाँ स्वर्ण मंदिर के निर्माण के समय गुरु रहते थे. स्वर्ण मंदिर बाबा अटल नौ मंजिला इमारत है. यह अमृतसर शहर की सबसे ऊँची इमारत है. यह गुरुद्वारा गुरु हरगोबिंद सिंह जी के पुत्र की याद में बनवाया गया था, जो केवल नौ वर्ष की उम्र में काल को प्राप्त हुए थे.

गुरुद्वारे की दीवारों पर अनेक चित्र बनाए गए हैं. यह चित्र गुरु नानक देव जी की जीवनी और सिक्ख संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं. इसके पास माता कौलाँ जी गुरुद्वारा है. यह गुरुद्वारा बाबा अटल गुरुद्वारे की अपेक्षा छोटा है. यह हरिमंदिर के बिल्कुल पास वाली झील में बना हुआ है. यह गुरुद्वारा उस दुखयारी महिला को समर्पित है जिसको गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने यहाँ रहने की अनुमति दी थी.

इसके पास ही गुरुद्वारा सारागढ़ी साहिब है. यह केसर बाग में स्थित है और आकार में बहुत ही छोटा है. इस गुरुद्वारे को 1902 ई.में ब्रिटिश सरकार ने उन सिक्ख सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया था जो एंग्लो-अफ़गान युद्ध में शहीद हुए थे. गुरुद्वारे के आसपास कई अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं. थड़ा साहिब, बेर बाबा बुड्ढा जी, गुरुद्वारा लाची बार, गुरुद्वारा शहीद बंगा बाबा दीप सिंह जैसे छोटे गुरुद्वारे स्वर्ण मंदिर के आसपास स्थित हैं.

उनकी भी अपनी महत्ता है. नजदीक ही ऐतिहासिक जलियांवाला बाग है, जहां जनरल डायर की क्रूरता की निशानियां मौजूद हैं. वहां जाकर शहीदों की कुर्बानियों की याद ताजा हो जाती है. गुरुद्वारे से कुछ ही दूरी पर भारत-पाक सीमा पर स्थित वाघा सीमा एक अन्य महत्वपूर्ण जगह है. यहां भारत और पाकिस्तान की सेनाएं अपने देश का झंडा सुबह फहराने और शाम को उतारने का आयोजन करती हैं. इस मौके पर परेड भी होती है.

स्वर्ण मंदिर प्रकाशोत्सव का समय | Golden Temple Festival of Lights Timings

प्रकाशोत्सव अल सुबह ढाई बजे से आरंभ होता है, जब गुरुग्रंथ साहिब जी को उनके कक्ष से स्वर्ण मंदिर में लाया जाता है. संगतों की टोली भजन-कीर्तन करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में सजाकर स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में लाती है. रात के समय सुखासन के लिए गुरु ग्रंथ को कक्ष में भी वापस भी इसी तरह लाया जाता है. कड़ाह प्रसाद (हलवा) की व्यवस्था भी 24 घंटे रहती है.

वैसे तो स्वर्ण मंदिर में रोज ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन गर्मियों की छुट्टियों में ज्यादा भीड़ होती है. बैसाखी, लोहड़ी, गुरुनानक पर्व, शहीदी दिवस, संगरांद (संक्रांति‍) जैसे त्योहारों पर पैर रखने की जगह नहीं होती है. इसके अलावा सुखासन और प्रकाशोत्सव का नजारा देखने लायक होता है. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से अरदास करने से सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.

खाटू श्याम मंदिर कितने बजे खुलता है?

स्वर्ण मंदिर कैसे जाएं By Train | How To Reach Golden Temple By Train

अमृतसर दिल्ली से लगभग 500 किलोमीटर दूर, राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर स्थित है. आसपास के सभी राज्यों के सभी प्रमुख नगरों से अमृतसर तक की बस सेवा (साधारण व डीलक्स) उपलब्ध है. राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर किसी भी स्थान से 24 घंटे बसें चलती रहती हैं. अमृतसर रेल मार्ग द्वारा भारत के सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा है. पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली से अमृतसर शान-ए-पंजाब या शताब्दी ट्रेन से 5 से 7 घंटे में अमृतसर पहुंचा जा सकता है. अमृतसर स्टेशन से रिक्शा करके स्वर्ण मंदिर पहुंचा जा सकता है.

स्वर्ण मंदिर कैसे जाएं By Flight | How To Reach Golden Temple By Flight

अगर आप स्वर्ण मंदिर जाने के लिए फ्लाईट से यात्रा करना चाहते है तो ऐसे में आप अमृतसर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा है. वहां से टैक्सी करके स्वर्ण मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

अमृतसर स्वर्ण मंदिर में ठहरने की व्यवस्था | Golden Temple in Hindi

स्वर्ण मंदिर में आने वाले लोगों के लिए ठहरने की व्यवस्था भी है. इस सराय का निर्माण सन 1784 में किया गया था. यहां 228 कमरे और 18 बड़े हॉल हैं. यहाँ पर रात गुजारने के लिए गद्दे व चादरें मिल जाती हैं. एक व्यक्ति की तीन दिन तक ठहरने की पूर्ण व्यवस्था है. इसके अलावा करीब 40 हजार लोग रोज यहाँ लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं.

अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है ?

अगर आपके मन में सवाल आ रहा है की अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है तो आपको बता दे, भारत के सिख साम्राज्य (1799-1849) के संस्थापक, महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का ऊपरी फ़्लोर 750 किलो शुद्ध सोने से मढ़वाया था. इसके अलावा स्वर्ण मंदिर की इमारत में कई बार नई-नई चीज़ें जोड़ी गईं, जिसमें फ़र्श पर संगमरमर लगाया जाना शामिल है.

बागेश्वर धाम में अर्जी कैसे लगाएं

स्वर्ण मंदिर पर सोने की चादर किसने चढ़ाई थी ? | Golden Temple in Hindi

महाराजा रणजीत सिंह ने इसके रिनोवेशन के साथ इसकी गुंबद पर सोने की परत चढ़वाई थी. ऐसा माना जाता है कि 19वीं शताब्दी में अफगान हमलावरों ने इस मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया था. इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह स्वर्ण मंदिर पर सोने परत चढ़वाई थी. मंदिर को कब-कब नष्ट किया गया और कब-कब बनाया गया, यह वहां लगे शिलालेखों से पता चलता है.

स्वर्ण मंदिर की स्थापना किसने और कब की थी ?

स्वर्ण मंदिर की स्थापना शिक्षक गुरु श्री रामदास जी ने साल 1577 ईस्वी में रखी थी और सिखों के पांचवे गुरु श्री अर्जन देव ने 15 दिसंबर 1588 को स्वर्ण मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था. स्वर्ण मंदिर को अफगान और मुगल आक्रांताओं ने कई बार नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन हिंदुओं और सिखों की अपार श्रद्धा होने के कारण इसे बार-बार बना दिया गया था.

स्वर्ण मंदिर के लिए काला दिन कौन सा माना जाता है ? | Golden Temple

3 से 6 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर के इतिहास में एक काला पन्ना है इस दिन खालिस्तानी समर्थक आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाला अकाल तख्त में घुस गया और वहां से उन्हें निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया जिसमे अकाल तख्त को काफी नुकसान पहुंचा और उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सिख विरोधी मान लिया गया था.

स्वर्ण मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातें | Golden Temple Facts In Hindi

स्वर्ण मंदिर अमृतसर में दुनिया का सबसे बड़ा लंगर लगाया जाता है जिसमें रोज 200000 से भी अधिक रोटियां से की जाती हैं और 50,000 से भी ज्यादा लोग खाना खाते हैं. स्वर्ण मंदिर में लगभग 500 किलो सोना लगा हुआ है जिसमें महाराणा रणजीत सिंह ने 7 से 9 परत लगवाई थी. लेकिन बाद में इसे 24 परतों तक किया गया था. बाबा दीप सिंह सिख शहीदों में सबसे प्रमुख हैं उन्होंने स्वर्ण मंदिर में मरने की कसम खाई थी इसी कारण जब साल 1757 में जहान खान से उनका सामना हुआ तो उन्होंने बहादुरी से युद्ध किया और मंदिर में जाकर ही अपनी अंतिम सांस ली.

200+ महाशिवरात्रि शायरी हिंदी में

स्वर्ण मंदिर पहुंचने का रास्ता | how to reach golden temple

  • हवाई रास्ता :- स्वर्ण मंदिर से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जहां से आप टैक्सी करके आसानी से स्वर्ण मंदिर पहुंच सकते हैं.
  • सड़क मार्ग :- अमृतसर एक धार्मिक नगरी होने के कारण यहां सभी जिलों के लिए रोड की व्यवस्था है राष्ट्रीय राजमार्ग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अमृतसर वैसे दिल्ली से 500 किलोमीटर दूर है.
  • रेल मार्ग :- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अमृतसर रेलवे स्टेशन हैं दिल्ली से आप शान-ए-पंजाब या शताब्दी एक्सप्रेस पकड़कर 5 से 7 घंटे में पहुंच जाएंगे बाद में आप रिक्शा करके गुरुद्वारे की तरफ जा सकते है.

हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारे का नाम स्वर्ण मंदिर पड़ने की कहानी

अफगान आक्रांताओ ने स्वर्ण मंदिर को कई बार बर्बाद किया था लेकिन जब महाराजा रणजीत सिंह ने सिख राज्य की स्थापना की तो उन्होंने इसका संगमरमर और तांबे से निर्माण करवाया था लेकिन साल 1830 में इसके गर्भगृह को सोने की पत्तियों से मंढा गया और तब से इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा था.

दुखभंजनी बेरी और सरोवर के बारे में कहानी

स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे की दीवार पर लिखी किवदंतियों के अनुसार एक पिता ने अपनी बेटी का विवाह एक कोढ़ी व्यक्ति से कर दिया और वह लड़की उसके साथ रहने लगी एक दिन वह लड़की अपने पति को तालाब के किनारे बैठा कर गांव में भोजन की तलाश में निकल गई और तभी उसके पति ने एक कौए को सरोवर में डुबकी लगाते हुए देखा और वह डुबकी लगाते ही हंस बन गया था.

इसे देखने के बाद उस आदमी ने सोचा कि अगर मैं भी इस तालाब में डुबकी लगा हूं तो मेरा कोढ़ नष्ट हो सकता है और उसने तालाब में डुबकी लगा दी और उसका कोढ़ नष्ट हो गया. तब इसके पास बेरी के पेड़ थे और आज भी सरोवर के पास बीड़ी के पेड़ हैं.

FAQ’s- Golden Temple History In Hindi

Q:- भारत में स्वर्ण मंदिर कहां स्थित है ?

Ans: यह भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है और पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है.

Q: अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है ?

Ans: भारत के सिख साम्राज्य (1799-1849) के संस्थापक, महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का ऊपरी फ़्लोर 750 किलो शुद्ध सोने से मढ़वाया था.

Q: स्वर्ण मंदिर का निर्माण कब हुआ था ?

Ans: लाहौर के एक सूफी सन्त मियां मीर से दिसम्बर, 1588 में इस स्वर्ण मंदिर की नींव रखवाई थी. स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है. लेकिन भक्ति और आस्था के कारण हिन्दूओं और सिक्खों ने इसे दोबारा बना दिया था.

Q: स्वर्ण मंदिर का इतिहास क्या है ?

Ans: स्वर्ण मंदिर की नींव शिक्षक गुरु श्री रामदास जी ने साल 1577 ईस्वी में रखी थी और सिखों के पांचवे गुरु श्री अर्जन देव ने 15 दिसंबर 1588 को हरिमंदिर साहिब का निर्माण शुरू करवाया था. स्वर्ण मंदिर को अफगान और मुगल आक्रांता ओं ने कई बार नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन हिंदुओं और सिखों की अपार श्रद्धा होने के कारण इसे बार-बार बना दिया गया.

Q: स्वर्ण मंदिर पर सोने की चादर किसने चढ़ाई थी ?

Ans: महाराजा रणजीत सिंह ने इसके रिनोवेशन के साथ इसकी गुंबद पर सोने की परत चढ़वाई थी. ऐसा माना जाता है कि 19वीं शताब्दी में अफगान हमलावरों ने इस मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया था. इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह स्वर्ण मंदिर पर सोने परत चढ़वाई थी.

Q: स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी थी ?

Ans: स्वर्ण मंदिर की नींव शिक्षक गुरु श्री रामदास जी ने साल 1577 ईस्वी में रखी थी और सिखों के पांचवे गुरु श्री अर्जन देव ने 15 दिसंबर 1588 को हरिमंदिर साहिब का निर्माण शुरू करवाया था.

Q: स्वर्ण मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है ?

Ans: स्वर्ण मंदिर सरोवर के बीच में मानव निर्मित द्वीप पर बना हुआ है. पूरे मंदिर पर सोने की परत चढ़ाई गई है. यह मंदिर एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है. झील में श्रद्धालु स्नान करते हैं. यह झील मछलियों से भरी हुई है.

Q: स्वर्ण मंदिर का निर्माण किसने करवाया था ?

Ans: सिखों के पांचवे गुरु श्री अर्जन देव ने 15 दिसंबर 1588 को हरिमंदिर साहिब का निर्माण शुरू करवाया था.

Q: अमृतसर का स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया था ?

Ans: सिखों के 10 सिख गुरुओं में से चौथे गुरु रामदास साहिब ने 15वीं सदी में यह गुरुद्वारा और सरोवर बनवाया था.

आपको इस लेख में स्वर्ण मंदिर का निर्माण कब हुआ, golden temple in hindi, अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है, golden temple history in hindi, स्वर्ण मंदिर का इतिहास, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, golden temple amritsar, स्वर्ण मंदिर पर सोने की चादर किसने चढ़ाई, golden temple facts, स्वर्ण मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है, swarna mandir kahan hai, स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया, swarna mandir punjab, स्वर्ण मंदिर खुलने का समय से जुडी जानकारी को दिया गया है जिससे आप आसानी से स्वर्ण मन्दिर से जुडी जानकारी को एक लेख में माध्यम से प्राप्त कर सकते है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent post