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Chana Ki Kheti Kaise Kare:- दोस्तों रबी सीजन में बोये जाने वाले फसलों में चना भी एक मुख्य और देश की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है. चना कि खेती शुष्क एवं ठण्डे जलवायु वाले मौसम में बोयें जाने वाली खेती है. इसके अलावा चना कि फसल हमारे देश के उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार में बोई जाती है. मध्य प्रदेश में सबसे अधिक किसान चने कि खेती करते है. आपको इस आर्टिकल में चना की खेती कि पूरी जानकारी, चना की खेती कैसे करें, चना की खेती का समय, खाद, यूरिया, पकने में समय, बिज दर, सिंचाई और कमाई के बारे में पूरी जानकारी को बताया गया है.

चना की खेती कैसे करें | Chana Ki Kheti Kaise Kare
देश का किसान अपनी जमीन पर रबी या खरीफ के सीजन में सबसे अधिक मुनाफा देने वाली फसल व कम लागत वाली फसलों कि बुवाई करने को प्राथमिकता देता है. जिससे किसान अपनी आय को बढ़ाने के साथ साथ खेती का खर्चा आसानी से उठा सकें. इन्ही फसलों में एक चना कि फसल है जो किसानों को अच्छी पैदावार के साथ साथ भाव/कीमत अच्छी रहती है.
क्योकि चना एक दलहनी फसल है. जिसके कारण से चना दाल को दालों का राजा कहा जाता है. देश के मध्य प्रदेश राज्य में सबसे अधिक चना का उत्पादन किया जाता है इसके अलावा उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा बिहार में चने कि खेती की जाती है. चने कि खेती के लिए 24 से-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है.
चना की खेती के लिए कैसे जमीन चाहिए? | Chana Ki Kheti Kaise Kare
अगर आप अपने खेत में चना की खेती करना चाहते है तो आपको बता दे, चना की खेती को दोमट भूमि से मटियार भूमि में अच्छा माना जाता है क्योकि चने की खेती हल्की से भारी भूमि में भी की जाती है. लेकिन चना की खेती के लिए अधिक जलधारण एवं उचित जलनिकास वाली भूमि सर्वोत्तम रहती है. किसानो को चने कि खेती के लिए जमीन में दो से तीन बार हल चलाकर के पलटना पड़ता है.
इसके बाद पिफर पाटा (लड़की या लोहे का भारी फट्टा) चलाकर खेत को समतल कर लिया जाता है. इसके बाद आप जमीन में चना कि बुवाई से पहले एक बार पानी दे सकते है या फिर आप सुखी जमीन में पहले चना बोकर के बाद में भी पानी दे सकते है लेकिन पहले चना कि बुवाई करने से जमीन से चना का पोधा सही से नही निकलता है इसी लिए जमीन को समतल करने से पहले एक बार पानी देकर के बाद में बुवाई करना ही सही रहता है.
चने की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है | चने की उन्नत किस्में
दोस्तों मुख्य रूप से चना की फसल के लिए दो प्रमुख फसलें है जिसमे कम समय और ज्यादा समय में पकने वाली फसल के बिज व समय और देरी से बुआई वाली उन्नत किस्में होती है जो इस प्रकार से है:-
प्रमुख चने की उन्नत किस्में
- समय पर बुआई के लिए- जी.एन.जी. 1958 (मरुधर), जी.एन.जी. 663, जी.एन.जी. 469, आर.एस.जी. 888, आर.एस.जी. 963, आरएस.जी. 973, आर.एस.जी. 986, जी.एनजी. 1581 (गणगौर).
- देरी से बुआई के लिए जी.एन.जी. 1488, आर.एसजी. 974, आर.एस.जी. 902, आर.एस.जी. 945 प्रमुख हैं.
काबुली चना
- एल 550 : यह 140 दिनों में पकने वाली किस्म है। इसकी उपज 10 से 13 क्विंटल/हेक्टेयर है. इसके 100 दानों का वजन 24 ग्राम है,
- सी-104 : यह किस्म 130-135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह औसतन 10 से13 क्विंटल/हेक्टेयर उपज देती है, इसके 100 दानों का वजन 25-30 ग्राम होता है।
- अन्य किस्में: जी.एन.जी. 1669 (त्रिवेणी), जी.एन.जी. 1499, जी.एन.जी. 1992 आदि किस्में है.
चना की खेती का समय कोनसा ठीक रहता है? | चने कि बुवाई का समय
Chana Ki Kheti Ka Samay:- असिंचित अवस्था में चना की बुआई अक्टूबर के द्वितीय सप्ताह तक कर देनी चाहिए। चना की खेती धान की फसल काटने के बाद भी की जाती है ऐसी स्थिति में बुआई दिसंबर के मध्य तक अवश्य कर लेनी चाहिए. बुआई में अधिक देरी करने पर पैदावार कम हो जाती है. तथा फसल में चना फली भेदक का प्रकोप भी अधिक होने की सम्भावना बनी रहती है
इसी लिए चना कि खेती के लिए चना बुवाई का सही समय अक्टूबर महिना का पहला सप्ताह सबसे अच्छा रहता है अगर चने कि बिजाई करने कि बार तारीख के हिसाब से करें तो चने की बुआई 10 अक्टूबर से 5 नवम्बर के बिच में कर लेनी चाहिए. अधिक समय तक बिजाई नही करने से किसान को कम पैदावार का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
1 हेक्टेयर में चना का बीज कितना लगता है?
दोस्तों 1 हेक्टेयर में चना का बिज कितना लगता है? यह चने के बिज कि किस्म पर निर्भर करता है जिसमे अगर आप अपनी 1 हेक्टेयर जमीन में देसी छोटे दानों वाली किस्मों का बिज जैसे जे.जी. 315, जे.जी.74, जे.जी.322, जे.जी.12, जे.जी. 63, जे.जी. 16 आदि से बुआई करते है तो प्रति हेक्टेयर 65 से 75 कि.ग्रा चना का बिज लगता है और चने कि मध्यम दानों वाली किस्मों जैसे जे.जी. 130, जे.जी. 11, जे.जी. 14, जे.जी. 6 बिज से बुआई करते है.
तो आपको 1 हेक्टेयर में 75-80 कि.ग्रा. चना का बिज डालना होगा. इसके अलावा अगर आप काबुली चने की किस्मों जैसे जे.जी.के 1, जे.जी.के 2, जे.जी.के 3 आदि से बिजाई करते है तो आपको ऐसे में 1 हेक्टेयर जमीन पर 100 कि.ग्रा. चना का बिज लगता है. और दोस्तों आमतौर पर बात करें तो 1 हेक्टेयर जमीन पर लगभग 80-100 कि.ग्रा. चना का बिज लगता है.
बीज उपचार | चने की बुवाई के समय रोग और कीटनाशक के लिए बिज में क्या डालें?
- चने की खेती में रोग के लिए कौन सा खाद डालें
- उकठा एवं जड़ सड़न रोग से फसल के बचाव हेतु 2 ग्राम थायरम 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के मिश्रण से प्रति किलो बीज को उपचारित करें । या
- बीटा वेक्स 2 ग्राम/किलो से उपचारित करें।
- चने की फसल में कीटनाशक के लिए कौन सी दवा डालें:-
- थायोमेथोक्साम 70 डब्ल्यू पी 3 ग्राम/किलों बीज की दर से उपचारित करें.
चने कि बुवाई/बिजाई से पहले क्या करें? | Chana Ki Bijai Kaise Kare
- क्षेत्रवार संस्तुत रोगरोधी प्रजातियाँ तथा प्रमाणिक बीजों का चुनाव कर उचित मात्रा में प्रयोग करें.
- खेत पूर्व फसलों के अवषोषों से मुक्त होना चाहिये। इससे भूमिगत फफूंदों का विकास नहीं होगा.
- बोने से पूर्व बीजो की अंकुरण क्षमता की जांच स्वयं जरूर करें। ऐसा करने के लिये 100 बीजों को पानी में आठ घंटे तक भिगो दें. पानी से निकालकर गीले तौलिये या बोरे में ढक कर साधारण कमरे के तामान पर रखें। 4-5 दिन बाद अंकुरितक बीजों की संख्या गिन लें.
- 90 से अधिक बीज अंकुरित हुय है तो अकुरण प्रतिषत ठीक है. यदि इससे कम है तो बोनी के लिये उच्च गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करें या बीज की मात्रा बढ़ा दें.
चना कि खेती कैसे करते है? | चने कि बुवाई करने कि विधि
- सबसे पहले आपको समुचित नमी में सीडड्रिल से बुआई करें.
- खेत में नमी कम हो तो बीज को नमी के सम्पर्क में लाने के लिए बुआई गहराई में करें तथा पाटा लगाऐं.
- पौध संख्या 25 से 30 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से रखेगा.
- पंक्तियों (कूंड़ों) के बीच की दूरी 30 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखे.
- सिंचित अवस्था में काबुली चने में कूंड़ों के बीच की दूरी 45 से.मी. रखनी चाहिए.
- चने कि बुवाई देरी से होने कि स्थिति में कम वृद्धि के कारण उपज में होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए सामान्य बीज दर में 20-25 तक बढ़ाकर बोनी करें.
- देरी से बोनी की अवस्था में पंक्ति से पंक्ति की दूरी घटाकर 25 से.मी. रखें.
चने की खेती में कौन सा खाद डालें? | Chana Ki Kheti Kaise Hoti Hai
- उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही किया जाना चाहिए.
- चना के पौधों की जड़ों में पायी जाने वाली ग्रंथियों में नत्रजन स्थिरीकरण जीवाणु पाये जाते हैं जो वायुमण्डल से नत्रजन अवषोषित कर लेते है तथा इस नत्रजन का उपयोग पौधे अपनी वृद्धि हेतु करते हैं.
- अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 20-25 किलोग्राम नत्रजन 50-60 किलोग्राम फास्फोरस 20 किलोग्राम पोटाष व 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करे.
- वैज्ञानिक षोध से पता चला है कि असिंचित अवस्था में 2 प्रतिषत यूरिया या डी.ए.पी. का फसल पर स्प्रे करने से चना की उपज में वृद्धि होती है.
- डाई अमोनियम फास्फेट (डी.ए.पी.)
- एलीमैन्टल सल्फर
- म्यूरेट ऑफ़ पोटाश
खरपतवार नियंत्रण: चना की फसल में घास रोकने के लिए क्या करें?
जब हम चना की फसल कि बिजाई करते है तो हमें चने में होने वाले रोग के बारे में पता नही चलता है इसी लिए फसल को बोने से पहले हमें बिज और खाद मात्रा पर ध्यान देना जरुरी है उकठा \ उगरा चना की फसल का प्रमुख रोग है आपको चने में रोग के दिखाई देने वाले लक्षण और रोग पर नियंत्रण के लिए निचे उपाए बताये गए है.
चने कि खेती में रोग लगाने के लक्षण कैसे पता चलेंगे?
- उकठा/ उगरा चना की फसल का प्रमुख रोग है.
- उकठा के लक्षण बुआई के 30 दिन से फली लगने तक दिखाई देते है.
- पौधों का झुककर मुरझाना.
- विभाजित जड़ में भूरी काली धारियों का दिखाई देना.
चने को रोग से बचाने के लिए क्या क्या करें
- चना की बुवाई अक्टूबर माह के अंत में या नवम्बर महीने के पहले सप्ताह मेंकरनी चाहिए.
- गर्मी के मौसम (अप्रेल – मई) में खेत की गहरी जुताई करें.
- उकठा रोगरोधी जातियां लगाऐं जैसे देसी चना – जे.जी. 315, जे.जी. 322, जे.जी. 74, जे.जी. 130, जाकी 9218, जे.जी. 16, जे.जी. 11, जे.जी. 63, जे.जी. 12, काबुली – जे.जी.के. 1, जे.जी.के. 2, जे.जी.के. 3काबुली चना – जे.जी.के. 1, जे.जी.के. 2, जे.जी.के. 3 ऽ बीज बोने से पहले कार्बाक्सिन 75बूंद फफूंद नाषक की 2 ग्राम मात्रा प्रति किले बीज की दर से करें.
- सिंचाई दिन में न करते हुए शाम के समय करें.
चने कि फसल में सिंचाई कब करें | चने कि फसल में पहला पानी कब देना चाहिए
जैसा आप सभी जानते है कि चने कि खेती कम पानी में भी कि जा सकती है क्योकि चने कि फसल कि बुआई करने के 45 दिनों बाद पानी जरूरत पड़ती है या फिर फसल बोने के 75 दिनों बाद करनी चाहिए. लेकिन चने कि बिजाई करते समय हमें एक बार पहले अच्छे से जमीन में सिंचाई करने कि आवश्यकता होती है यानि चने कि फसल में फूल आने के पूर्व अर्थात बोने के डेढ़ माह बाद सिंचाई करनी चाहिए.
क्योकि चने कि फसल में अधिक सिंचाई होने से भी नुकसान होते है. चने कि फसल लगभग तैयार होने तक 2 से 3 बार सिंचाई करनी होती है. क्योकि चने कि फसल 130 से 150 दिनों कि होती है. जिसके कारण से हमें अगर चने कि फसल मुरझाने लग जाए. उससे पहले पानी देना चाहिए. फुवारा सिस्टम से चने कि फसल में एक लाइन कम से कम 3 घंटें तक पानी देना सही है.
चना में घुन पड़ने से कैसे रोकें? | चने में घुन का निंयत्रण कैसे करें
- चने के दानों को अच्छी तरह धूप में सुखाकर ही भण्डार\गौदाम में रखना चाहिए.
- पेलीथिन के अस्तर लगे बोरों तथा आधुनिक भण्डारण संरचनाओं का प्रयोग करना चाहिए।
- दानों को सरसों, महुआ या नारियल के तेल से 8-10 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करने से घुन का प्रकोप कम होता है.
- बन्द भण्डारण संरचनाओं में पारद टिकरी का प्रयोग करें. 2 टिकिया प्रति 10 किलोग्राम बीज के हिसाब से रखने पर घुन से होने वाली हानि से बचाया जा सकता है.
- अधिक मात्रा में एक साथ भण्डारण के लिए ई.डी.बी. ऐम्प्यूल का प्रयोग करना चाहिए.
चने की फसल में यूरिया कब देना चाहिए? | Chana Ki Kheti Me Khad
दोस्तों अगर अपने भी अपने खेत में चने कि फसल बोई हुयी है तो आपके मन में भी सवाल आया होगा कि चने कि फसल में यूरिया कब देनी चाहिए तो आपको बता दे, असिंचित अवस्था में 2 प्रतिषत यूरिया या डी.ए.पी. का फसल पर स्प्रे करने से चना की उपज में वृद्धि होती है. इसके अलावा दोस्तों जब आप अपने खेत में चने कि बुवाई कर देते है तो इसके बाद 45 दिन बाद यूरिया देनी चाहिए.
आपको साधारण भाषा में फसल कि बुआई करने के बाद जब आप पहली बार सिंचाई करें तभी आपको चने कि फसल में यूरिया देनी चाहिए. जिसमे आप अपने चने कि फसल के हिसाब से 1 हेक्टेयर जमीन में 30 से 40 किलोग्राम यूरिया दे सकते है. इसके अलावा दोस्तों चने कि फसल में यूरिया को बिज कि किस्म के अनुसन देना आवश्यक है.
चने कि अधिक पैदावार के लिए क्या करना चाहिए? | Chana Ki Kheti Benefit
- चने कि अधिक पैदावार के लिए आपको नवीनतम किस्मों में से जैसे जे.जी. 16, जे.जी. 14, जे.जी. 11के गुणवत्तायुक्त तथा प्रमाणित बीज बोनी के लिए इस्तेमाल करना चाहिए.
- बुवाई पूर्व बीज को फफूदनाषी दवा थायरम व कार्बन्डाजिम 2:1 या कार्बोक्सिन 2 ग्राम / किलो बीज की दर से उपचारित करने क बाद राइजोबियम कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से तथा मोलिब्डेनम 1 ग्राम प्रति किलो बीज कल दर से उपचारित करें.
- बोनी कतारों में साीडड्रिल मशीन ऽ कीट ब्याधियों की रोकथाम के लिए खेत में टी आकार की खूटियां लगायें चना धना (10:2) की अन्तवर्तीय फसल लगायें.
- आवश्यक होने पर रासायनिक दवा इमामेक्टिन बेन्जोइट 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें.
- चने कि फसल में सही समय पर सिंचाई करने के साथ साथ में कीटनाशक और रोग पर ध्यान देना जरुरी है. जिससे आप समय पर चने कि फसल में रोग को देखकर के उपचार करके अच्छी पैदावार कर सकते है.
चना कि फसल कब काटनी चाहिए? | Chana Ki Fasal Kab Katani Chahiye
चने कि फसल को काटना यह चने के बिज कि किस्म पर निर्भर करता है फिर भी चना फसल कि कटाई अलग अलग राज्य व अलग अलग क्षेत्रों में जलवायु, तापमान, आर्द्रता एवं दानों में नमी के अनुसार विभिन्न समयों पर होती है. जिसमे आपको चने कि फसल पकी है इसकी जानकारी के लिए फली से दाना निकालकर दांत से काटा जाए और कट की आवाज आए, तब समझना चाहिए कि चना की फसल कटाई के लिए तैयार हैं.
चना के पौधों की पत्तियां हल्की पीली अथवा हल्की भूरी हो जाती है, या झड़ जाती है तब फसल की कटाई करना चाहिये. क्योकि अगर आप समय रहते फसल कि कटाई नही करते है तो फसल अधिक पककर सूख जाने से कटाई के समय फलियाँ टूटकर खेत में गिरने लगती है, जिससे काफी नुकसान होता है. अगर आप फसल को पकने से पहले काट देते है. तो ऐसे में आपको अंकुरण क्षमता पर प्रभाव पड़ता है.
काटी हुयी फसल को एक स्थान पर इकट्ठा करके खलिहान में 4-5 दिनों तक सुखाकर मड़ाई की जाती है. इसके बाद आपको मड़ाई थ्रेसर से या फिर बैलों या ट्रैक्टर को पौधों के ऊपर चलाकर की जाती है. इसके बाद आपको बन्द गोदामों या कुठलों आदि में चना का भण्डारण करना चाहिए. साबुतदानों की अपेक्षा दाल बनाकर भण्डारण करने पर घुन से क्षति कम होती है. साफ सुथरें नमी रहित भण्डारण ग्रह में जूट की बोरियाँ या लोहे की टंकियों में भरकर रखना चाहिये.
FAQ:-(चना की खेती के बारे में पूछे जाने वाले प्रशन)
प्रशन:- चने की खेती किस महीने में की जाती है?
Ans:- चना की खेती धान की फसल काटने के बाद भी की जाती है ऐसी स्थिति में बुआई दिसंबर के मध्य (10 अक्टूबर से 5 नवम्बर के बिच) तक अवश्य कर लेनी चाहिए. बुआई में अधिक देरी करने पर पैदावार कम हो जाती है. तथा फसल में चना फली भेदक का प्रकोप भी अधिक होने की सम्भावना बनी रहती है
प्रशन:- चने की फसल में सिंचाई कब करें?
Ans:- चने कि फसल कि बुआई करने के 45 दिनों बाद पानी जरूरत पड़ती है या फिर फसल बोने के 75 दिनों बाद करनी चाहिए. लेकिन चने कि बिजाई करते समय हमें एक बार पहले अच्छे से जमीन में सिंचाई करने कि आवश्यकता होती है यानि चने कि फसल में फूल आने के पूर्व अर्थात बोने के डेढ़ माह बाद सिंचाई करनी चाहिए.
प्रशन:- चने की फसल में कौन सी दवा डालें?
Ans:- किसान अपनी चने कि फसल में कीटनाशक रोकथाम के लिए थायोमेथोक्साम 70 डब्ल्यू पी 3 ग्राम/किलों बीज की दर से उपचारित करें.
प्रशन:- चने की फसल में यूरिया कब देना चाहिए?
Ans:- असिंचित अवस्था में 2 प्रतिषत यूरिया या डी.ए.पी. का फसल पर स्प्रे करने से चना की उपज में वृद्धि होती है. इसके अलावा दोस्तों जब आप अपने खेत में चने कि बुवाई कर देते है तो इसके बाद 45 दिन बाद यूरिया देनी चाहिए.
प्रशन:- चने की अच्छी खेती किस प्रकार की मिट्टी में होती है?
Ans:- चना की खेती को दोमट भूमि से मटियार भूमि में अच्छा माना जाता है साथ में चने कि खेती के लिए 24 से-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है.
प्रशन:- चने की खेती कितने दिनों कि होती है?
Ans:- चने कि फसल 130 से 150 दिनों कि होती है. इसके अलावा चने कि फसल में विजय सर्वाधिक उपज देने वाली 90-105 दिन में तैयार होने वाली किस्म और जे.जी. 315किस्म 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है
प्रशन:- चने की कटाई कब करनी चाहिए कैसे पता करें?
Ans:- आपको चने कि फसल पकी है इसकी जानकारी के लिए फली से दाना निकालकर दांत से काटा जाए और कट की आवाज आए, तब समझना चाहिए कि चना की फसल कटाई के लिए तैयार हैं.
प्रशन:- चना में घुन पड़ने से कैसे रोकें?
Ans:- दानों को सरसों, महुआ या नारियल के तेल से 8-10 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करने से घुन का प्रकोप कम होता है, बन्द भण्डारण संरचनाओं में पारद टिकरी का प्रयोग करें. 2 टिकिया प्रति 10 किलोग्राम बीज के हिसाब से रखने पर घुन से होने वाली हानि से बचाया जा सकता है, अधिक मात्रा में एक साथ भण्डारण के लिए ई.डी.बी. ऐम्प्यूल का प्रयोग करना चाहिए.
प्रशन:- चने कि खरपतवार नाशक दवा सबसे अच्छी कोनसी है?
Ans:- फ्लूक्लोरेलिन 200 ग्राम (सक्रिय तत्व) का बुआई से पहले या पेंडीमेथालीन 350 ग्राम (सक्रिय तत्व) का अंकुरण से पहले 300-350 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ में छिड़काव करें.पहली निराई-गुड़ाई बुआई के 30-35 दिनों बाद तथा दूसरी 55-60 दिनों बाद आवश्यकतानुसार करें.
प्रशन:- चने की खेती कब करें?
Ans:- असिंचित अवस्था में चना की बुआई अक्टूबर के द्वितीय सप्ताह तक कर देनी चाहिए. चना की खेती धान की फसल काटने के बाद भी की जाती है, ऐसी स्थिति में बुआई दिसंबर के मध्य तक अवष्यक कर लेनी चाहिए.
प्रशन:- चने का अधिक उत्पादन के लिए कोनसा बिज का उपयोग करें?
Ans:- चने कि अधिक पैदावार के लिए आपको नवीनतम किस्मों में से जैसे जे.जी. 16, जे.जी. 14, जे.जी. 11के गुणवत्तायुक्त तथा प्रमाणित बीज बोनी के लिए इस्तेमाल करना चाहिए.
प्रशन:- 1/2 हेक्टेयर में चना का बीज कितना लगता है?
Ans:- अपनी 1 हेक्टेयर जमीन में देसी छोटे दानों वाली किस्मों का बिज जैसे जे.जी. 315, जे.जी.74, जे.जी.322, जे.जी.12, जे.जी. 63, जे.जी. 16 आदि से बुआई करते है तो प्रति हेक्टेयर 65 से 75 कि.ग्रा चना का बिज लगता है और चने कि मध्यम दानों वाली किस्मों जैसे जे.जी. 130, जे.जी. 11, जे.जी. 14, जे.जी. 6 बिज से बुआई करते है. तो आपको 1 हेक्टेयर में 75-80 कि.ग्रा. चना का बिज डालना होगा इसी हिसाब से आप आधा हेक्टयर में बिज डाल सकते है.
Chana Ki Kheti Kaise Kare:- दोस्तों आपको इस आर्टिकल में चना की खेती कैसे करें, चना की खेती कि पूरी जानकारी को स्टेप बाय स्टेप बताया गया है जिससे आप आसानी से अपने खेत में चना कि फसल बोकर के चने कि खेती कर सकते है और अपनी आय को बढ़ा सकते है. अगर आपको आर्टिकल में दी गई चने कि खेती कैसे करें और चने कि फसल से जुडी जानकारी अच्छी लगी है तो इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.