यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है जानें, UCC के फायदे और नुकसान, कहाँ पर है लागू

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Uniform Civil Code In Hindi:- यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक सम्मान होने का अधिकार प्रदान करने वाला कानून, जिससे कोई भी नागरिक किसी भी धर्म या जाती के अंतर्गत आता हो. उन सभी धर्म और जातियों का एक ही कानून होगा. जिसमे शादी, तलाक, गोद लेने और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों पर यह एक ही कानून लागु होगा. अभी हमारे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानि UCC का जोर शोर से विरोध किया जा रहा है. इस लेख में हम यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है, कब लागु हुआ और किस राज्य में लागु है से जुडी जानकारी को हिंदी में विस्तार से दिया गया है.

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Table of Contents

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है हिंदी में | Uniform Civil Code Kya Hai

भारत के सभी नागरिको को चाहे वो किसी भी धर्म या जाती के अंतर्गत शामिल है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा. और यह कानून सभी धर्म और जाती की पर लागु होगा. युनिफोर्म सिविल कॉड (Uniform Civil Code) के अंतर्गत शादी, तलाक, गोद लेने और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों पर यह एक ही कानून लागु होगा.

Uniform Civil Code अभी हमारे देश के सिर्फ एक राज्य गोवा में लागु है. लेकिन अभी यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून को देश के सभी राज्यों में लागु करने की तैयारी की जा रही है. जिसमे अलग अलग समाज के लोग अपना विरोध भी जता रहें है. भारत के विधि आयोग (Law Commission of India, LCI) ने देश के तमाम धार्मिक संगठनों से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर सुझाव 30 दिनों के अंदर आमंत्रित किए हैं.

समान नागरिक संहिता किस राज्य में लागू है | uniform civil code in hindi

देश का गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है जिसमे समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागु है लेकिन आपको जानकारी के लिए बता दे, गोवा में पुर्तगाल सरकार के समय से ही यूनिफार्म सिविल कोड को लागू किया गया था. वर्ष 1961 में गोवा सरकार यूनिफार्म सिविल कोड के साथ ही बनी थी. भारतीय संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 44 के अंतर्गत भारतीय राज्य को देश में सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (ucc) का निर्माण करने को कहा गया है जो पुरे देश में लागू होता हो.

यूनिफॉर्म सिविल कोड कब लागू हुआ था | uniform civil code in hindi

समान नागरिक कानून का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में भी किया गया था. इसमें कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है. इस रिपोर्ट में हिंदू-मुसलमानों के धार्मिक कानूनों से छेड़छाड़ की बात नहीं की गई है. हालांकि, 1941 में हिंदू कानून पर संहिता बनाने के लिए बीएन राव समिति का गठन किया गया. राव समिति की सिफारिश पर 1956 में हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और सिखों के उत्तराधिकार मामलों को सुलझाने के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम विधेयक को अपनाया गया. हालांकि, मुस्लिम, ईसाई और पारसियों लोगों के लिये अलग कानून रखे गए थे.

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यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे | benefits of uniform civil code

  • भारत में अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी. इससे वे कम से कम ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगी.
  • यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर गाँव गांव तक शादी के पंजीकरण की सुविधा पहुंचाई जाएगी. अगर किसी की शादी पंजीकृत नहीं होगी तो दंपति को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा.
  • पति और पत्‍नी को तलाक के समान अधिकार मिलेंगे.
  • एक से ज्‍यादा शादी करने पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
  • नौकरीपेशा बेटे की मौत होने पर पत्‍नी को मिले मुआवजे में माता-पिता के भरण पोषण की जिम्‍मेदारी भी शामिल होगी.
  • उत्‍तराधिकार में बेटा और बेटी को बराबर का हक होगा.
  • पत्‍नी की मौत के बाद उसके अकेले माता-पिता की देखभाल की जिम्‍मेदारी पति की होगी.
  • मुस्लिम महिलाओं को बच्‍चे गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा. उन्‍हें हलाला और इद्दत से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा.
  • लिव-इन रिलेशन में रहने वाले सभी लोगों को डिक्लेरेशन देना पड़ेगा.
  • पति और पत्‍नी में अनबन होने पर उनके बच्‍चे की कस्‍टडी दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को दी जाएगी.
  • बच्‍चे के अनाथ होने पर अभिभावक बनने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी.

Disadvantages of UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड के नुकसान क्या क्या है ?

बोर्ड के सदस्य खालिद रशीदी फिरंगी महली का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश भर में लागु होने से सिर्फ मुसलमानों को नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोगों को भी नुकसान है. जिसमे तीस से ज्यादा आदिवासी संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं. आदिवासी संगठनों का मानना है कि यूसीसी के आने से उनकी परंपराएं और प्रथाएं और कानून खत्म हो जाएंगे.

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दुनिया के इन देशों में लागु है यूनिफॉर्म सिविल कोड

दुनिया के कई ऐसे देश है जिनमें समान नागरिक संहिता लागू है. इनमें हमारे पड़ोसी देश पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश भी शामिल हैं. इन दोनों देशों में सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों पर शरिया पर आधारित एक समान कानून लागू होता है. इनके अलावा इजरायल, जापान, फ्रांस और रूस में भी समान नागरिक संहिता लागू है. हालांकि, कुछ मामलों के लिए समान दीवानी या आपराधिक कानून भी लागू हैं.

यूरोपीय देशों और अमेरिका में धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू होता है. दुनिया के ज्‍यादातर इस्लामिक देशों में शरिया पर आधारित एक समान कानून है, जो वहां रहने वाले सभी धर्म के लोगों को समान रूप से लागू होता है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड में शामिल विषय | Subjects Covered In UCC

  • विवाह, तलाक गोद लेना
  • व्यक्तिगत स्तर
  • संपत्ति का अधिकार और सञ्चालन

यूनिफॉर्म सिविल कोड आर्टिकल | Uniform Civil Code Articles

भारतीय संविधान के भाग 4 में अनु्छेद 36 से लेकर 51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Directive Principal of State Policy) को शामिल किया गया है. इसी हिस्से के अनुच्छेद 44 में नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान है. इसमें कहा गया है “राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा.” इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के सिद्धांत का पालन करना है. बता दें कि भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान ‘आपराधिक संहिता’ है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है.

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यूनिफॉर्म सिविल कोड उत्तराखंड | Uniform Civil Code Uttarakhand

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए कर समिति की कुछ अहम सिफारिशें हैं जिसके अनुसार माना जा रहा है कि यूसीसी में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने पर फैसला हो सकता है. इसके तहत हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिला को परिवार और माता पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा.

मई 2022 को उत्तराखंड समान नागरिकता संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था. इस समिति ने अपने गठन के बाद से लेकर मसौदा तैयार करने तक ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त किए गए थे. इसके बाद समिति इस संबंध में 13 जिलों में हित धारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है, जबकि नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा की गई थी.

यूनिफॉर्म सिविल कोड कब से लागू होगा | Uniform Civil Code In Hindi

केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग से सुझाव मांगे थे. इसके बाद देश के 22वें विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों के साथ विभिन्‍न पक्षों से 30 दिन के भीतर अपनी राय देने को कहा है. ऐसे में ये मुद्दा देशभर में एकबार फिर चर्चा में आ गया है. राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह भी बताया कि 22वां लॉ कमीशन यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़े मामले पर विचार कर सकता है.

वर्तमान लॉ कमीशन का गठन 21 फरवरी, 2020 को किया गया था, लेकिन इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति आयोग का कार्यकाल समाप्त होने से महीनों पहले पिछले साल नवंबर में की गई थी. 21 वें लॉ कमीशन ने यूनिफॉर्म सिविल कोड से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच की और व्यापक चर्चा के लिए अपनी वेबसाइट पर ‘परिवार कानून में सुधार’ नामक एक परामर्श पत्र अपलोड किया था.

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समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य कौनसा है ?

saman nagrik sanhita kis rajya mein lagu hai: देश का गोवा राज्य सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य है. संविधान में गोवा को विशेष राज्‍य का दर्जा दिया गया है. वहीं, गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार भी मिला हुआ है. राज्‍य में सभी धर्म और जातियों के लिए फैमिली लॉ लागू है.

इसके मुताबिक, सभी धर्म, जाति, संप्रदाय और वर्ग से जुड़े लोगों के लिए शादी, तलाक, उत्‍तराधिकार के कानून समान हैं. गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है. रजिस्‍ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्‍य नहीं होगी. संपत्ति पर पति-पत्‍नी का समान अधिकार है. हालांकि, यहां भी एक अपवाद है. जहां मुस्लिमों को गोवा में चार शादी का अधिकार नहीं है. वहीं, हिंदुओं को दो शादी करने की छूट है. हालांकि, इसकी कुछ शर्तें भी हैं.

भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता | Uniform Civil Code

यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 का हिस्सा है. संविधान में इसे नीति निदेशक तत्व में शामिल किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना सरकार का दायित्व है. अनुच्छेद 44 उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार, शादी, तलाक और बच्चे की कस्टडी के बारे में समान कानून की अवधारणा पर आधारित है.

भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड अब तक लागु नही होने का कारण

जैसा हम सभी जानते है की भारत का सामाजिक ढांचा विविधता से भरा हुआ है. हालात ये हैं कि एक ही घर के सदस्‍य अलग-अलग रीति-रिवाजों को मानते हैं. अगर आबादी के आधार पर देखें तो देश में हिंदू बहुसंख्‍यक हैं. लेकिन, अलग राज्‍यों के हिंदुओं में ही धार्मिक मान्‍यताएं और रीति-रिवाजों में काफी अंतर देखने को मिल जाएगा. इसी तरह मुसलमानों में शिया, सुन्‍नी, वहावी, अहमदिया समाज में रीति रिवाज और नियम अलग हैं.

ईसाइयों के भी अलग धार्मिक कानून हैं. वहीं, किसी समुदाय में पुरुष कई शादी कर सकते हैं. कहीं विवाहित महिला को पिता की संपत्ति में हिस्सा ननहंी मिल सकता तो कहीं बेटियों को भी संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है. समान नागरिक संहिता लागू होते ही ये सभी नियम खत्म हो जाएंगे. हालांकि, संविधान में नगालैंड, मेघालय और मिजोरम के स्‍थानीय रीति-रिवाजों को मान्यता व सुरक्षा देने की बात कही गई है.

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समान नागरिक संहिता के पक्ष और विपक्ष | Uniform Civil Code In Hindi

केंद्र में सत्‍तारूढ़ दल बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 के घोषणापत्र में समान नागरिक कानून बनाने का वादा किया था. वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने अगस्त 2019 में यूसीसी पर कहा था कि मोदी सरकार राजग में शिवसेना के उठाए मुद्दों को आगे बढ़ा रही है. ये देश हित का फैसला है. वहीं, इसका विरोध कर रहे एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने अक्टूबर 2016 में कहा था

कि यूसीसी सिर्फ मुसलमानों से जुड़ा मुद्दा नहीं है. पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों के लोग भी इसका विरोध करेंगे. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि ये मुसलमानों पर हिंदू धर्म थोपने जैसा है. अगर इसे लागू कर दिया जाए तो मुसलमानों को तीन शादियों का अधिकार नहीं रहेगा. शरीयत के हिसाब से जायदाद का बंटवारा नहीं होगा.

FAQ’s-uniform civil code in hindi

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब क्या है ?

Ans:- यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम. दूसरे शब्‍दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे. संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है.

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड कौनसे राज्य में लागु है ?

Ans:- देश का गोवा राज्य सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य है. संविधान में गोवा को विशेष राज्‍य का दर्जा दिया गया है. वहीं, गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार भी मिला हुआ है. राज्‍य में सभी धर्म और जातियों के लिए फैमिली लॉ लागू है.

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड कब लागु हुआ था ?

Ans:- समान नागरिक कानून का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में भी किया गया था. इसमें कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है.

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Q:- भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड कब लागु होगा ?

Ans:- वर्तमान लॉ कमीशन का गठन 21 फरवरी, 2020 को किया गया था, लेकिन इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति आयोग का कार्यकाल समाप्त होने से महीनों पहले पिछले साल नवंबर में की गई थी.

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड लागु होने पर लडकियों के विवाह की उम्र कितनी हो जाएगी ?

Ans:- भारत में अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी. इससे वे कम से कम ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगी. दावा किया जा रहा है कि लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 साल से बढ़ाकर 21 साल किया जा सकता है.

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड किससे समन्धित है ?

Ans:- भारत के सभी नागरिको को चाहे वो किसी भी धर्म या जाती के अंतर्गत शामिल है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा. और यह कानून सभी धर्म और जाती की पर लागु होगा. युनिफोर्म सिविल कॉड (Uniform Civil Code) के अंतर्गत शादी, तलाक, गोद लेने और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों पर यह एक ही कानून लागु होगा.

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड अभी कौन कौनसे देश में लागु है ?

Ans:- अभी दुनिया के पाकिस्तान ,बांग्लादेश ,तुर्की ,मलेशिया ,सूडान ,इंडोनेशिया ,इजिप्ट जैसे देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागु किया गया है.

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या राज्यसभा में पास हो गया है ?

Ans:- बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले साल यानी शुक्रवार 9 दिसंबर 2022 को भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में Uniform Civil Code विधेयक को पेश किया था. विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया और सदन में खूब हंगामा भी हुआ. इस विधेयक के पक्ष में 63 वोट पड़े, जबकि 23 वोट इसके विरोध में पड़े.

Q:- यूनिफॉर्म सिविल कोड लागु करना मुश्किल क्यों हो रहा है ?

Ans:- भारत का सामाजिक ढांचा विविधता से भरा हुआ है. हालात ये हैं कि एक ही घर के सदस्‍य अलग-अलग रीति-रिवाजों को मानते हैं. अगर आबादी के आधार पर देखें तो देश में हिंदू बहुसंख्‍यक हैं. लेकिन, अलग राज्‍यों के हिंदुओं में ही धार्मिक मान्‍यताएं और रीति-रिवाजों में काफी अंतर देखने को मिल जाएगा. इसी तरह मुसलमानों में शिया, सुन्‍नी, वहावी, अहमदिया समाज में रीति रिवाज और नियम अलग हैं. जिसके कारण से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागु करना मुश्किल हो रहा है.

Q:- क्या भारतीय संविधान में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागु करने का प्रावधान है ?

Ans:- भारतीय संविधान के भाग 4 में अनु्छेद 36 से लेकर 51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Directive Principal of State Policy) को शामिल किया गया है. इसी हिस्से के अनुच्छेद 44 में नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान है.

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