सरसों की खेती कैसे करें पूरी जानकारी Sarso Ki Kheti Kaise Kare | सरसों में खाद, समय, बिज, दवा, सिंचाई कब और कैसे करें बुवाई जाने

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Sarso Ki Kheti Kaise Kare:- जैसा दोस्तों आप सभी जानते ही है कि सरसों कि फसल रबी सीजन कि एक मुख्य फसल है और किसान अपने खेतो में सरसों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है. लेकिन सही समय और उन्नत किस्म के बिज कि सरसों से बुवाई करके किसान अधिक उत्पादन कर सकते है. सरसों की खेती के लिए सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर माह का पहला सप्ताह होता है. आपको इस आर्टिकल में सरसों की खेती कैसे करें, सरसों की खेती कहां करें, काली सरसों की खेती, पायनियर सरसों, सरसों की खेती का समय और सरसों की खेती कि पूरी जानकारी को बताया गया है.

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Sarso Ki Kheti Kaise Kare

Table of Contents

सरसों की खेती कैसे करें पूरी जानकारी | Sarso Ki Kheti Kaise Kare

सरसों एक रबी की फसल है जो एक तिलहनी फसल है जिसका राजस्थान में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है सरसों की खेती कम सिचाई के साधन होने पर भी अधिक उत्पादन एव उत्पादकता देने वाली फसल है रबी की फसलो में से सरसों की फसल एक अच्छी पैदावार देने वाली फसल है जैसे दोस्तों बढती महगाई को देखते हुए अब हमारे किसान भाई भी पारम्परिक खेती को न करके व्यापारिक खेती की और आकर्षित हो रहे है.

जो किसान नयी तकनीकी से खेती कर रहे है वो किसान खेती में अपना अच्छा उत्पादन ले रहे है और खेती से अच्छा मुनाफा लेते है आगे आपको सरसों की खेती के बारे में पूरी जानकारी देगे. दोस्तों आज आपको हम इस आर्टिकल में आपको सरसों की खेती के बारे बतायेगे की सरसों की खेती कैसे करे सरसों के ज्यादा उत्पादन के लिए कोनसी खाद डाले, सरसों की खेती के लिए भूमि को कैसे तैयार करे, प्रति हेक्टेयर कितना सरसों का बिज डाले और सरसों में कितनी सिचाई करे.

इसके साथ ही सरसों की खेती में सिचाई कितने दिनों बाद करे सरसों में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे सरसों में रगों का प्रकोप होने पर क्या करे. सरसों की बुवाई कब करे सरसों की कटाई कब करे. सरसों की उन्नत किस्मो के बारे में सरसों को ज्यादा ठड होने से खराब ना हो इसके लिए क्या करे. इस प्रकार सरसों की खेती के बारे में आपको पूरी जानकारी दी जाएगी.

सरसों बिजाई के लिए भूमि की तैयारी कैसे करें | Sarso Ki Kheti Kab Kare

सरसों की बिजाई के लिए सबसे पहले जिस भूमि पर हमे सरसों की बिजाई करनी है उस भूमि में सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए उसके बाद दो या तिन बार देसी हल से जैसे कल्टीवेटर या पलाऊ से बिजाई करनी चाहिए उसके उसके बाद भूमि पर पाटा लगाकर समतल करना होता है क्योकि पाटा लगाने से भूमि की नमी ज्यादा दिनों तक बनी रहती है जिससे की सरसों की बिजाई के बाद जल्दी सिचाई ना करनी हो

सरसों की खेती के लिए कैसे जमीन चाहिए | Sarso Ki Kheti Ke Liye Mitti

सरसों की खेती के लिए मोसम में 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सरसों की बिजाई के समय होना चाहिए और जब सरसों एक महीने के बाद इसमे 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए ज्यादा ठड वाले वाले प्रदेश में सरसों का उत्पादकता कम होती है सरसों की खेती के लिए दोमट मिट्टी की भूमि सर्वोत्तम होती है और उस भूमि में जल निकासी का भी उचित प्रबंधन होना चाहिए

सरसों की बिजाई का सही समय | Sarso Ki Kheti Ka Samay

सरसों की बिजाई का सही समय होता है सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर माह का पहला सप्ताह होता है अगर यदि आप सितम्बर माह में पहले सरसों की बिजाई करते है तो इसमे सरसों के ज्यादा ठड के समय में खराब होने का खतरा रहता है और यदि सरसों की बिजाई अक्टूबर माह में लेट बिजाई करते है तो इसमे जब सरसों पकती है तो ज्यादा गर्मी होने से फसल में नुकसान होने का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए सरसों की सही समय पर बिजाई होने से ज्यादा उत्पादन होता है

सरसों के बिज और सरसों कि उन्नत किस्में कोनसी है? |

सरसों के बिज की बोई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियाँ कई है जैसे पूसा,क्रांति,माया Pioneer 45S35, Pioneer 45S42, PIONEER 45S46, श्रीराम 1666, पूसा बोल्ड आदि सरसों की उन्नतशील प्रजातियाँ है यह प्रजातियाँ सिचिंत क्षेत्र की किस्मे है असिचित क्षेत्र में बोई जाने वाली उन्नत किस्मे निम्न है जैसे वरुणा, वैभव तथा वरदान, आदि किस्मे असिचित क्षेत्र में बोई जाने वाली किस्मे है

इसके अलावा आपके खेत की मिट्टी और जलवायु को देखते हुए अलग अलग क्षेत्र के लिए सरसों की अलग अलग किस्मे विकसित की गयी है जो किस्म आपके क्षेत्र में अधिक पैदावार दे सके और जलवायु को सहन कर सके. अब कई किस्मे विकसित की जा चुकी है जो रोगों के प्रति लड़ने की क्षमता होती है और कठोर वातावरण को भी सहन कर सकते है

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सरसों के बिज का उपचार या बिज का शोधन | Sarso Ke Bij Ka Upchar

सरसों के बिज की बुवाई करने से पहले बिज को शोधन करना भी बहुत जरुरी है क्योकि बिज का शोधन करने से सरसों की फसल में जो रोग पड़ते है उन रोगों के प्रति पोधो में लड़ने की क्षमता पैदा हो सके साथ ही कठोर वातावरण को सहन करने की क्षमता को भी बढ़ाना होता है इसलिए बिज का सोधन करना भी बहुत जरुरी है

सरसों के बिज का शोधन करने के लिए 2 से 5 ग्राम थिरम प्रति किलोग्राम बिज के हिसाब से मिलाकर उस बिज की बुवाई करनी चाहिए थिरम मिलाने से पहले बिज को बिलकुल साफ कर लेना चाहिए उसके बाद दवा को अच्छे से बिज में मिलाना है उसके बाद बिज को सुखा ले इसके बाद बिज बुवाई के लिए तैयार हो जाता है

1 हेक्टेयर में सरसों का बिज कितना लगता है? | Sarso Ki Kheti In Hindi

सरसों की बुवाई करते समय यह बात भी ज्यादा ध्यान देने वाली है की बिज की प्रति हेक्टेयर कितनी बुवाई करे .सरसों का बिज सिचिंत क्षेत्र में 5 से 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई करनी चाहिए और असिचित क्षेत्र में 3 से 4 किलोग्राम बिज प्रति हेक्टेयर से बुवाई करनी चाहिए और आपके खेत की मिट्टी के हिसाब से कम या ज्यादा बिज की बुवाई करनी होती है ज्यादा बिज डालने से या फिर कम बिज डालने से सरसों के उत्पादन में गिरावट आती है इसलिए सरसों की बुवाई करते समय कितना बिज डालना है इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए

सरसों की फसल में सिचाई कब और कैसे करें | Sarso Ki Kheti PDF

सरसों की फसल में यदि आप खुले नाले से पानी लगाते है तो पहली सिंचाई फूल आने के समय तथा दूसरी सिंचाई फलियाँ में दाने भरने की अवस्था में करनी चाहिए यदि बिच में सर्दियों में वर्षा हो जाती है, तो दूसरी सिंचाई न भी करें तो उपज अच्छी प्राप्त हो जाती है.लेकिन वर्षा नहीं होती है तो दो या तिन बार सिचाई करनी होती है जिससे की सरसों का उत्पादन अच्छा हो सके .

यदि आप सिचाई खुले पानी से ना करके यदि फव्वारों से सिचाई करते है तो पहली सिचाई आप सरसों बिजाई के एक माह बाद करनी चाहिए और इसके बाद 20 से 25 दिनों के अन्तराल से तिन बार सिचाई करनी होती है सही समय पर सिचाई करने से सरसों के उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी होती है

सरसों में खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करें | सरसों कि खेती में घास के लिए दवा

दोस्तों कोई भी फसल हो उस फसल में यदि समय पर खरपतवार पर नियत्रण नही किया जाये तो उस फसल की पैदावार में बहुत ज्यादा कमी आ जाती है इसलिए फसल में से सही समय पर खरपतवार को निकलना बहुत जरुरी है सरसों की खेती में खरपतवार निकलने के लिए सबसे पहले बुवाई के 15 से 20 दिन बाद घने पौधों को निकाल देना चाहिए और उन पोधो की आपसी दूरी 15 सेन्टीमीटर कर देनी चाहिए, सरसों में खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराईगुड़ाई सिंचाई के पहले करनी चाहिए और दूसरी निराईगुड़ाई सिंचाई के बाद करें.

और यदि आप रसायन द्वारा खरपतवार का नियत्रण करना चाहते है तो इसके लिए आप पेंडामेथालिन 30 ई.सी. रसायन की 3.3 लीटर मात्रा की प्रति हैक्टर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए,और यह छिड़काव बुवाई के 2-3 दिन के बाद यह छिड़काव करना जरुरी होता है यदि आप इसके बादमें इसका छिड़काव करते है तो यह रसायन खरपतवार पर ज्यादा नियत्रण नही कर पायेगा.इसलिए इसका छिडकाव सही समय पर करना होता है

सरसों में उर्वरक और खाद को कब और कैसे डालें | Sarso Ki Kheti Me Khad

सरसों की खेती में अच्छा उत्पादन लेने के लिए भूमि में उर्वरको और खाद का डालना भी बहुत जरुरी है जिससे की उत्पादन को और बढ़ाया जा सके सरसों की खेती में सबसे पहले50 से 60 किवंटल गोबर की सड़ी हुई खाद की बुवाई अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देनी चाहिए और यदि भूमि सिंचित दशा में है तो 100 से 120 किलोग्राम नत्रजन,50 से 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 से 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हैक्टर की दर से डालनी चाहिए.

नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले जब आप अंतिम जुताई करते है उस समय खेत में मिला देना चाहिए, और बची हुई आधी नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के 25 से 30 दिन के बाद में प्रयोग करना चाहिए. दोस्तों यदि आपकी भूमि में उर्वरको का प्रयोग यदि कम करना चाहते है तो इसके लिए आपको आप अपनी भूमि की मिट्टी की जांच करवा ले.

अपनी नजदीकी जिला प्रयोगशाला से इससे आपको पता चलेगा की हमारी भूमि में कोन कोनसे तत्वों की कमी है और उस लैब रिपोर्ट के अनुसार आप अपनी भूमि में नत्रजन,फास्फोरस,पोटाश,नाईट्रोजन की कमी होती उसके हिसाब से अपनी भूमि में उन तत्वों को डालना होता है जिससे की सभी तत्वों की फसल को मिल सके और हमारी फसल का अच्छा उत्पादन हो सके.

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सरसों की फसल में लगने वाले रोग के नाम व रोग पर रोक के लिए क्या करें?

दोस्तों सरसों की फसल में यदि समय पर रोगों का नियन्त्रण नही किया जाये तो फसल में बहुत ज्यादा नुकसान होता है सरसों की फसल में कई प्रकार के रोग पैदा होते है इनमेसे प्रमुख रोग है की जैसे आल्टरनेरिया, पत्ती झुलसा रोग, सफ़ेद किट्ट रोग, चूणिल आसिता रोग तथा तुलासिता रोग आदि कई रोग सरसों की फसल में लगते हैं.

इन रोगों के नियत्रण के लिए मेन्कोजेब 75 प्रतिशत नामक रसायन का 900-1000 लीटर पानी में मिलाकर के छिड़काव करना चाहिए. जिससे की इन रोगों पर नियत्रण किया जा सके.इन रोगों के अलावा सरसों में कई प्रकार के किट भी पैदा होते है जिससे कई रोग फसल में होते है इनका समय पर नियंत्रण नही होने से फसल में बहुत ज्यादा नुकसान होता है

सरसों की फसल में कीटो पर नियन्त्रण कैसे करें? | Sarso Me Kit Ke Liye Dva

सरसों की फसल में कीट अलग अलग तरह के होते हैं सरसों की फसल में आरा मक्खी यह काले रंग की मक्खी होती है जो घरेलु मक्खी से छोटी होती है,इस मक्खी का अंडा रोपण आरी के आकार का होने के कारण इसे आरा मक्खी कहते हैं, इस मक्खी की सुड़ियाँ पत्तियों के किनारे पर छेद बनती है और बहुत तेजी से खाती है,जिससे की जब सरसों की फसल छोटी होती है तो फसल को नष्ट कर देती है इसके नियत्रण के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. 1.5 लीटर दवाई को की 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए जिससे की इस मक्खी पर नियन्त्रण किया जा सके.

सरसों में यह कीट अपने चूसने वाले मुखंगों से पौधों की कोमल पत्तियों, शाखाओं, फूलों, तनी तथा फलियों के रस को चूसते हैं, और इस किट का आक्रमण अक्टूबर से मार्च तक यानि की फसल की बिजाई के 20 से 25 दिनों के बाद से फसल कटने तक कभी भी हो सकता है, इन कीटो के नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर या फेंटोथियान 50 ई.सी. 1.5 लीटर मात्रा की 8000 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।जिससे की कीटो पर नियत्रण किया जा सके .

सरसों की फसल में माहू किट की सबसे बड़ी समस्या है, यह किट पंखहीन तथा पंख युक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग का कीट होता है, यह कीट पौधों के कोमल तनों, पत्तियों, फूली एवम नयी फलियों के रस चूसते हैं, इस कीट का प्रकोप पहली सिचाई के बाद यानि की दिसंबर से मार्च तक रहता है, इसके नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर फेंटोथियान 50 ई.सी. 1 लीटर मात्रा की 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए .

सरसों की कटाई कब और कैसे करनी चाहिए | Sarso Ki Ktai Ka Samay

सरसों की कटाई करते समय भी धयान रखना होता है की सरसों की कटाई कब करे अगर यदि पहले कटाई करते है तो सरसों पूरी पकेगी नही जिससे की उत्पादन कम होगा और अगर यदि सरसों की फसल ज्यादा सुख जाती है तो फलियाँ ज्यादा गिर जाएगी इसलिए सरसों को सही समय पर कटाई होना जरुरी है की जिससे किसान को नुकसान न हो और ज्यादा उत्पादन हो सके .

सरसों की फसल में जब 75% फलियाँ सुनहरे रंग की हो जाए, तब फसल की कटाई करनी चाहिए जिससे की ना तो सरसों कच्ची रहेगी ना ही सरसों सूखेगी.जिससे की किसान को कोई नुकसान नही होगा .इसके बाद सरसों सुखाकर या मड़ाई करके सरसों के बीज अलग कर लेना चाहिएआधुनिक कृषि यंत्रों से सरसों के बिज को आसानी से अलग किया जा सकता है .

1 हेक्टेयर में कितनी सरसों होती है? | Sarso Ki Kheti Kaise Kare

सरसों की खेती में एक अच्छी पैदावार होती है सरसों की पैदावार एक हेक्टेयर में 25 से 35 किवंटल तक होती है सरसों का भाव भी 6000 से 7000 तक होता है और सरसों की खेती में एक हेक्टेयर का खर्चा 18000 से 20000 रुपये तक होता है अगर सरसों एक हेक्टेयर में 25 किवंटल पैदा होती है तो 6000 रूपये किवंटल के हिसाब से 25*6000 =150000 रूपये प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है अगर इसमेसे खर्चा निकाले तो 150000-20000 =130000 रूपये प्रति हेक्टेयर की बचत होती है

सरसों का भंडारण कैसे और कहां करना चाहिए? | Sarso Ke Bhav Kitne Hai

सरसों का भंडारण करने से पहले किसान को कई तरह की सावधानी रखनी चाहिए सावधानी ना रखने से किसान की फसल खराब हो सकती है सरसों के भंडारण से पहले सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखाकर ही भण्डारण करना चाहिए और जिस जगह पर भण्डारण कर रहे है वो जगह भी सुखी होनी चाहिए और वहा पर कोई नमी नही होनी चाहिए .

FAQ:-(सरसों की खेती के बारे में पूछे जाने वाले प्रशन)

प्रशन :-सरसों बिजाई के लिए भूमि की तैयारी कैसे करें?

Ans:- सरसों की बिजाई के लिए सबसे पहले जिस भूमि पर हमे सरसों की बिजाई करनी है उस भूमि में सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए उसके बाद दो या तिन बार देसी हल से जैसे कल्टीवेटर या पलाऊ से बिजाई करनी चाहिए उसके उसके बाद भूमि पर पाटा लगाकर समतल करना होता है इसके बाद जमीन बिजाई के लिए तैयार होती है

प्रशन:- सरसों की खेती के लिए मौसम कैसा होना चाहिए?

Ans:- सरसों की खेती के लिए मोसम में 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सरसों की बिजाई के समय होना चाहिए और जब सरसों एक महीने के बाद इसमे 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए

प्रशन:- सरसों की बिजाई करनी चाहिए?

Ans:- सरसों की बिजाई का सही समय सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर माह का पहला सप्ताह होता है अगर यदि आप सितम्बर माह में पहले सरसों की बिजाई करते है तो इसमे सरसों के ज्यादा ठड के समय में खराब होने का खतरा रहता है और यदि सरसों की बिजाई अक्टूबर माह में लेट बिजाई करते है तो इसमे जब सरसों पकती है तो ज्यादा गर्मी होने से फसल में नुकसान होने का खतरा ज्यादा रहता है.

प्रशन:- सबसे अच्छी सरसों के बिज किस्मे कोनसी है?

Ans:- सरसों के बिज की बोई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियाँ कई है जैसे पूसा,क्रांति,माया Pioneer 45S35, Pioneer 45S42, PIONEER 45S46, श्रीराम 1666 ,पूसा बोल्ड आदि सरसों की उन्नतशील प्रजातियाँ है यह प्रजातियाँ सिचिंत क्षेत्र की किस्मे है असिचित क्षेत्र में बोई जाने वाली उन्नत किस्मे निम्न है जैसे वरुणा, वैभव तथा वरदान,आदि किस्मे असिचित क्षेत्र में बोई जाने वाली किस्मे है,

प्रशन:- सरसों के बिज का उपचार या बिज का शोधन कैसे करें?

Ans:- सरसों के बिज का शोधन या उपचार करने के लिए 2 से 5 ग्राम थिरम प्रति किलोग्राम बिज के हिसाब से मिलाकर उस बिज की बुवाई करनी चाहिए थिरम मिलाने से पहले बिज को बिलकुल साफ कर लेना चाहिए उसके बाद दवा को अच्छे से बिज में मिलाना है उसके बाद बिज को सुखा ले इसके बाद बिज बुवाई के लिए तैयार हो जाता है.

प्रशन:- 1 हेक्टेयर में सरसों का कितना बिज लगता है?

Ans:- सरसों का बिज सिचिंत क्षेत्र में 5 से 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई करनी चाहिए और असिचित क्षेत्र में 3 से 4 किलोग्राम बिज प्रति हेक्टेयर से बुवाई करनी चाहिए और आपके खेत की मिट्टी के हिसाब से कम या ज्यादा बिज की बुवाई करनी होती है.

प्रशन:- सरसों की फसल में पानी कब देना चाहिए?

Ans:- सरसों की फसल में यदि आप खुले नाले से पानी लगाते है तो पहली सिंचाई फूल आने के समय तथा दूसरी सिंचाई फलियाँ में दाने भरने की अवस्था में करनी चाहिए यदि बिच में सर्दियों में वर्षा हो जाती है, तो दूसरी सिंचाई न भी करें तो उपज अच्छी प्राप्त हो जाती है. लेकिन वर्षा नहीं होती है तो दो या तिन बार सिचाई करनी होती है यदि आप सिचाई खुले पानी से ना करके यदि फव्वारों से सिचाई करते है तो पहली सिचाई आप सरसों बिजाई के एक माह बाद करनी चाहिए और इसके बाद 20 से 25 दिनों के अन्तराल से तिन बार सिचाई करनी होती है.

प्रशन:- सरसों में खाद कब देनी चाहिए?

Ans:- सबसे पहले 50 से 60 किवंटल गोबर की सड़ी हुई खाद की बुवाई अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देनी चाहिए और यदि भूमि सिंचित दशा में है तो 100 से 120 किलोग्राम नत्रजन, 50 से 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 से 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हैक्टर की दर से डालनी चाहिए, नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले जब आप अंतिम जुताई करते है उस समय खेत में मिला देना चाहिए, और बची हुई आधी नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के 25 से 30 दिन के बाद में प्रयोग करना चाहिए.

प्रशन:- सरसों में खरपतवार होने पर क्या करें?

Ans:- सरसों की खेती में खरपतवार निकलने के लिए सबसे पहले बुवाई के 15 से 20 दिन बाद घने पौधों को निकाल देना चाहिए और उन पोधो की आपसी दूरी 15 सेन्टीमीटर कर देनी चाहिए, सरसों में खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराईगुड़ाई सिंचाई के पहले करनी चाहिए और दूसरी निराईगुड़ाई सिंचाई के बाद करें. और यदि आप रसायन द्वारा खरपतवार का नियत्रण करना चाहते है तो इसके लिए आप पेंडामेथालिन 30 ई.सी. रसायन की 3.3 लीटर मात्रा की प्रति हैक्टर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए,और यह छिड़काव बुवाई के 2-3 दिन के बाद यह छिड़काव करना जरुरी होता है.

प्रशन:- सरसों की फसल में लगने वाले रोगों पर रोक कैसे लगाये?

Ans:- सरसों की फसल में कई प्रकार के रोग पैदा होते है इनमेसे प्रमुख रोग है की जैसे आल्टरनेरिया, पत्ती झुलसा रोग, सफ़ेद किट्ट रोग, चूणिल आसिता रोग तथा तुलासिता रोग आदि कई रोग सरसों की फसल में लगते हैं, इन रोगों के नियत्रण के लिए मेन्कोजेब 75 प्रतिशत नामक रसायन का 900-1000 लीटर पानी में मिलाकर के छिड़काव करना चाहिए. जिससे की इन रोगों पर नियत्रण किया जा सके.इन रोगों के अलावा सरसों में कई प्रकार के किट भी पैदा होते है जिससे कई रोग फसल में होते है

प्रशन:- सरसों की फसल में कीटो के रोग के लिए कोनसी दवा का प्रयोग करें?

Ans:- सरसों की फसल में किटो के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. 1.5 लीटर दवाई को की 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए जिससे की इस मक्खी पर नियन्त्रण किया जा सके ,सरसों की फसल में माहू किट की सबसे बड़ी समस्या है, यह किट पंखहीन तथा पंख युक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग का कीट होता है, यह कीट पौधों के कोमल तनों, पत्तियों, फूली एवम नयी फलियों के रस चूसते हैं, इस कीट का प्रकोप पहली सिचाई के बाद यानि की दिसंबर से मार्च तक रहता है, इसके नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. 1 लीटर फेंटोथियान 50 ई.सी. 1 लीटर मात्रा की 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

प्रशन:- सरसों की कटाई कब करें?

Ans:- सरसों की फसल में जब 75% फलियाँ सुनहरे रंग की हो जाए, तब फसल की कटाई करनी चाहिए जिससे की ना तो सरसों कच्ची रहेगी ना ही सरसों सूखेगी.जिससे की किसान को कोई नुकसान नही होगा .इसके बाद सरसों सुखाकर या मड़ाई करके सरसों के बीज अलग कर लेना चाहिएआधुनिक कृषि यंत्रों से सरसों के बिज को आसानी से अलग किया जा सकता है .

प्रशन:- सरसों की पैदावार एक हेक्टेयर में कितनी होती है?

Ans:- सरसों की पैदावार एक हेक्टेयर में 25 से 35 किवंटल तक होती है सरसों का भाव भी 6000 से 7000 तक होता है और सरसों की खेती में एक हेक्टेयर का खर्चा 18000 से 20000 रुपये तक होता है अगर सरसों एक हेक्टेयर में 25 किवंटल पैदा होती है तो 6000 रूपये किवंटल के हिसाब से 25*6000 =150000 रूपये प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है अगर इसमेसे खर्चा निकाले तो 150000-20000 = 130000 रूपये प्रति हेक्टेयर की बचत होती है.

प्रशन:- सरसों का भंडारण कैसे करें?

Ans:- सरसों के भंडारण से पहले सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखाकर ही भण्डारण करना चाहिए और जिस जगह पर भण्डारण कर रहे है वो जगह भी सुखी होनी चाहिए और वहा पर कोई नमी नही होनी चाहिए .

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दोस्तों आपको इस आर्टिकल में सरसों की खेती कैसे करें, सरसों की खेती कहां करें, सरसों की खेती कब करें, सरसों की खेती के लिए मिट्टी, खाद, कीटनाशक के लिए दवा, रोग के नाम, बिज, उन्नत किस्मे, पैदावार, भंडारण, कटाई का तरीका, सरसों के भाव के बारे में पूरी जानकारी को स्टेप बाय स्टेप बताया गया है जिससे आप आसानी से सरसों कि खेती कर सकते है. अगर आपको इस आर्टिकल में दी गई सरसों की खेती कैसे करें से जुडी जानकारी अच्छी लगी है तो इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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