कपास की खेती कैसे करें Kapas Ki Kheti Kaise Kare | कपास कि उन्नत किस्में, खाद, दवा, कब और कहां करें कि पूरी जानकारी

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Kapas Ki Kheti Kaise Kare:- कपास एक रेशे वाली फसल हैं और कपास का सबसे अधिक उपयोग कपड़ा बनाने में किया जाता है इसलिए कपास कि फसल का भाव अधिक रहता है और देश का किसान भी अपनी जमीन पर कपास कि फसल बोने को सबसे अधक प्राथमिकता देता है क्योकि कपास कि खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है. कपास कि खेती करने के लिए हमें मटियार भूमि कि जररूत पड़ती है आपको इस आर्टिकल में कपास की खेती कैसे करें, कपास की खेती में कौन सा खाद डालें, कपास की दवा, कपास की खेती कहां होती है, खेती कब और कैसे करें कपास की खेती के बारे में पूरी जानकारी को दिया गया है.

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Kapas Ki Kheti Kaise Kare

Table of Contents

कपास की खेती कैसे करें | Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

कपास कि खेती में किसानो को बड़ा मुनाफा होता है क्योकि कि कपास का उपयोग मुख्य रूप से कपड़ा बनाने में किया जाता है लेकिन कपास की खेती करने के लिए किसान के पर्याप्त जानकारी का होना जरुरी है. कपास की खेती को मटियार भूमि में करना सबसे अच्छा रहता है साथ में कपास की खेती के लिए फसल को मिट्टी अच्छी भूरभूरी तैयार कर लगाना चाहिए.

साथ में उन्नत जातियों का 2.5 से 3.0 किग्रा. बीज (रेशाविहीन/डिलिन्टेड) तथा संकर एवं बीटी जातियों का 1.0 किग्रा. बीज (रेशाविहीन) प्रति हेक्टेयर की बुवाई के लिए ठीक रहता है. उन्नत जातियों में चैफुली 45-60*45-60 सेमी. पर लगायी जाती हैं (भारी भूमि में 60*60, मध्य भूमि में 60*45, एवं हल्की भूमि में ) संकर एवं बीटी जातियों में कतार से कतार एवं पौधे से पौधे के बीच की दूरी क्रमश 90 से 120 सेमी. एवं 60 से 90 सेमी रखी जाती हैं .

कपास की खेती कैसे होती है | Kapas Ki Kheti Kaise Hoti Hai

देश के किसान बढती हुयी महंगाई और लागत को ध्यान में रखते हुए अपने खेतो में अधिक उन्नत उत्पादन वाली फसलों कि बुवाई करते है जिसमे कपास कि फसल किसानो को एक अच्छा मुनाफा प्रदान करती है. जिसकी वजह से देश के किसान धीरे धीरे करके कपास कि अधिक से अधिक खेती कर रहे है क्योकि कपास का उपयोग कपड़ा (Kapas Ki Kheti) बनाने में किया जाता है.

जिसकी वजह से साल दर साल कपास के भाव बढ़ते ही जा रहे है. लेकिन कपास की खेती (Kapas Ki Kheti) करने के लिए किसान को बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. जिसमे किसान को खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. मटियार भूमि में की इसकी खेती की जाती है. इसके अलावा सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों वहां बलुई एवं बलुई दोमट मिटटी में भी कपास की खेती की जा सकती है.

कपास की खेती के लिए कैसे मिट्टी चाहिए | Kapas Ki Kheti Ke Liye Mitti

दोस्तों कपास कि खेती करने के लिए सबसे जरुरी जमीन कि मिट्टी होती है जिससे अगर आपके खेत में दोमट मिटटी है तो आप अपने खेत में कपास की खेती करके अच्छी फसल ले सकते है. लेकिन दोस्तों मिट्टी के साथ साथ कपास की खेती के लिए जलवायु सही होना भी जरुरी है जिसमे कपास कि फसल के लिए तापमान 21 से 27 सें. ग्रे. के बिच में अच्छा माना जाता है.

हमारे देश मे कपास मुख्यत रूप से महाराष्ट्र मे बोई जाती है. इसके अलावा राजस्थान और मध्यप्रदेश के पश्चिम निमाड़ क्षेत्र में भी कपास की खेती की जाती है. जिससे देश के लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर कपास की खेती की जाती हैं. विश्व में कपास कि 2 किस्म पाई जाती है. जिसमे पहली को देशी कपास (गासिपियाम अर्बोरियाम) एवं (गा; हरबेरियम) के नाम से जाना तथा दूसरे को अमेरिकन कपास (गा, हिर्सूटम)एवम् (बरवेडेंस) के नाम से जाता है.

कपास कि किस्में कोन-कोनसी होती है? | कपास कितने प्रकार का होता है

कपास के प्रकार – कपास के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते है जिसमे कपासी एक गांठ का वजन 170 किलोग्राम केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान नागपुर महाराष्ट्र कपास विश्लेषण प्रयोगशाला मटुंगा महाराष्ट्र कपास का रेशा लेंट कहलाता है कपास का छोटा रे फज कहलाता है. कपास के तीनों प्रकार इस तरह से है:-

  • लम्बे रेशे वाली कपास.
  • मध्य रेशे वाली कपास.
  • छोटे रेशे वाली कपास.

कपास की उन्नत किस्में:-

जेके.-4 (2002) असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त 18-20 क्विं/हे
जेके.-5, (2003) अच्छी गुणवत्ता, मजबूत रेशा 18-20 क्विं/हे
जवाहर ताप्ती (2002) रस चूसक कीटो के लिए प्रतिरोधी 15-18 क्विं/हे

कपास कि बुवाई करने कि विधि | कपास की फसल का समय

कपास की फसल बुवाई करते समय किसानो को बहुत सी बातों को ध्यान में रखना पड़ता है जिसमे सबसे पहले किसान को जमीन पर अगर पर्याप्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध हैं तो कपास की फसल को मई माह में ही लगाया जा सकता हैं. सिंचाई की पर्याप्त उपलब्धता न होने पर मानसून की उपयुक्त वर्षा होते ही कपास की फसल लगनी चाहिए. कपास की फसल को मिट्टी अच्छी भूरभूरी तैयार कर लगाना चाहिए.

कपास की सघन खेती में कतार से कतार 45 सेमी एवं पौधे से पौधे 15 सेमी पर लगाये जाते है, इस प्रकार एक हेक्टेयर में 1,48,000 पौधे लगते है. बीज दर 6 से 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखी जाती है. इससे 25 से 50 प्रतिशत की उपज में वृद्धि होती है इसी लिए कपास (Cotton) कि बुवाई करते समय किसान को कपास कि किस्म के आधार पर बिज डालना चाहिए.

1 हेक्टयर में कितना कपास लगता है? | Cotton Farming In Hindi

दोस्तों अगर आप पहली बार कपास की खेती करने जा रहे है तो आपको कपास के बिज कि लिमिट प्रति हेक्टयर या एकड़ के बारे में जानकारी होना जरुरी है इसके अलावा आपको बता दे, कपास का बिज प्रति हेक्टयर में कितना डालना है यह कपास कि किस्म पर निर्भर करता है जिसमे कपास कि उन्नत जातियों का 2.5 से 3.0 किग्रा. बीज (रेशाविहीन/डिलिन्टेड) तथा संकर एवं बीटी जातियों का 1.0 किग्रा. बीज (रेशाविहीन) 1 हेक्टेयर की बुवाई के लिए अच्छा रहता है.

लेकिन दोस्तों कपास की सघन खेती में कतार से कतार 45 सेमी एवं पौधे से पौधे 15 सेमी पर लगाये जाते है, इस प्रकार एक हेक्टेयर में 1,48,000 पौधे लगते है. बीज दर 6 से 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखी जाती है. इससे 25 से 50 प्रतिशत की उपज में वृद्धि होती है. जिसमे कपास कि एनएच 651 (2003), सुरज (2002), पीकेवी 081 (1989), एलआरके 51 (1992), एनएचएच 48 बीटी (2013) जवाहर ताप्ती, जेके 4, जेके 5 आदि किस्मे अच्छी होती है.

कपास की खेती में कौन सा खाद डालें? | Cotton Ki Kheti Kaise Kare

कपास कि फसल बुवाई से लेकर के कपास (Cotton) की फसल उगने के बाद अलग अलग खाद डाली जाती है जिसमे कपास की खेती में कपास डालने का सही समय आपको पता होना जरुरी है आपको कपास की खेती में खाद कोनसा और कब डालना है इसकी जानकारी को निचे टेबल में बताया गया है.

प्रजाति नत्रजन (किलोग्राम/हेक्टेयर) फास्फोरस/हेक्टेयर पोटाश/हेक्टेयर गंधक (किग्रा/हेक्टेयर)
उन्नत 80-120 40-60 20-30 25
संकर 150 75 40 25
15% बुआई के समय एक चैथाई 30 दिन, 60 दिन, 90 दिन पर बाकी 120 दिन पर आधा बुआई के समय एवं बाकी 60 दिन पर आधा बुआई के समय एवं बाकी 60 दिन पर आधा बुआई के समय एवं बाकी 60 दिन पर बुआई के समय
  • कपास कि खेती में अगर आपके पास उपलब्ध होने पर अच्छी तरह से पकी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट 7 से 10 टन/हे. (20 से 25 गाड़ी) अवश्य देना चाहिए.
  • बुआई के समय 1 हेक्टेयर के लिए लगने वाले बीज को 500 ग्राम एजोस्पाइरिलम एवं 500 ग्राम पी.एस.बी. से भी उपचारित कर सकते है जिससे 20 किग्रा नत्रजन एवं 10 किग्रा स्फुर की बचत होगी.
  • बोनी के बाद उर्वरक को कालम पद्धति से देना चाहिए. इस पद्धति से पौधे के घेरे/परिधि पर 15 सेमी गहरे गड्ढे सब्बल बनाकर उनमें प्रति पौधे को दिया जाने वाला उर्वरक डालते है व मिट्टी से बंद कर देते है.

Cotton Farming: कपास की खेती में निंदाई-गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण कैसे करें

किसानो को अपने खेतो में कपास की खेती करने में आने वाली सबसे बड़ी समस्या खरपतवार को नियंत्रण करने कि होती है जिसमे किसान को कपास की खेती में निंदाई-गुड़ाई को सही समय पर करना जरुरी होता है. किसनो को अपनी कपास की खेती में सबसे पहली निंदाई-गुड़ाई अंकुरण के 15 से 20 दिन के अंदर कर कोल्पा या डोरा चलाकर करना चाहिए.

खरपतवारनाशकों में पायरेटोब्रेक सोडियम (750 ग्रा/हे) या फ्लूक्लोरिन /पेन्डामेथेलिन 1 किग्रा. सक्रिय तत्व को बुवाई पूर्व उपयोग किया जा सकता है. कपास में 50 किलो यूरिया, 150 किलो सुपर फास्फेट, 40 किलो म्यूरेट पोटाश व 10 किलो जक सल्फेट प्रति एकड़ देना चाहिए. देशी कपास (Cotton) में एक-एक कट्टा यूरिया 45 व 75 दिन बाद डालना चाहिए.

कपास की खेती कब करनी चाहिए | कपास कीई खेती कोनसे महीने में होती है

कपास की बुवाई सही समय पर करना एक बहुत ही अच्छा और अधिक पैदावार के लिए जरुरी है जिसमे आप देशी कपास की बिजाई 15 अप्रैल से पूरा मई महीना तक की जा सकती है. जिसमे आप देशी कपास कि बुवाई में किस्मे जैसे एचडी-107,123, 324 व 432, संकर किस्में एएएच-1 व 32, अमेरिकन कपास की एच-1117, 1226, 1236 तथा एच-1300, संकर किस्में एचएचएच-223 व 287, संकर बीटी कपास की आरसीएच-773 व 653, पीआरसीएच-7799, बायो 6588, केसीएच-999, अंकुर 3228 बीटी-2, एमआरसी-7017 बीटी-2 उन्नत किस्में कि बिजाई कर सकते है.

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कपास की खेती कहां करें | कपास की खेती करने का तरीका | Cottan Ki Kheti

दोस्तों कपास की खेती को आप ज्यादा रेतीली, सेम वाली तथा ज्यादा नमकीन जमीन को छोड़कर के सभी प्रकार की मिट्टी में पर कर सकते है. कपास की बुवाई के लिए सबसे पहली अपनी जमीन अच्छी प्रकार जुताई करके तैयार कर लेनी है. क्योकि अच्छी गहरी जुताई से कपास की पैदावार बढ़ती है. पलेवा करके बत्तर अवस्था में बिजाई करें. देशी कपास व सामान्य किस्मों का पांच-छह किलो, बीटी संकर का 850 ग्राम, अमेरिकन कपास का छह से आठ किलो, अमेरिकन संकर किस्मों का 1500 से 1750 ग्राम बीज प्रति एकड़ डालें.

कपास की खेती में लगाने वाले रोग कोन कोनसे है?

कपास के रोग रोग के लक्षण कपास में रोग रोकने के लिए कोनसी दवा डालें
कपास का कोणीय धब्बा एवं जीवाणु झुलसा रोग रोग के लक्षण पौधे के वायुवीय भागों पर छोटे गोल जलसक्ति बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं. रोग के लक्षण घेटों पर भी दिखाई देते हैं. घेटों एवं सहपत्रों पर भी भूरे काले चित्ते दिखाई देते हैं. ये घेटियाँ समय से पहले खुल जाती है. रोग ग्रस्त घेटों का रेशा खराब हो जाता है इसका बीज भी सिकुड़ जाता है. बोने से पूर्व बीजों को बावेस्टीन कवक नाशी दवा की 1 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करे.
मायरोथीसियम पत्ती धब्बा रोग इस रोग में पत्तियोंपर हल्के भूरे से गहरे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं. कुछ समय बाद ये धब्बे आपस में मिलकर अनियमित रूप से पत्तियों का अधिकांश भाग ढँक लेते हैं, धब्बों के बीच का भाग टूटकर नीचे गिर जाता है। इस रोग से फसल की उपज में लगभग 20-25 प्रतिशततक कमी आंकीगई है. कोणीय धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए बीज को बोनेसे पहले स्टेप्टोसाइक्लिन (1ग्राम दवा प्रति लीटर पानीमें) बीजोपचार करे.
अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग इस रोग में पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के संकेंद्रित धब्बे बनते हैं व अन्त में पत्तियाँ सूखकर झड़ने लगती है. वातावरण में नमी की अधिकता होने पर ही यह रोग दिखाई देता है एवं उग्ररूप से फैलता है. खेत में कोणीय धब्बारोग के लक्षण दिखाई देते ही स्टेप्टोसाइक्लिन का 100 पी.पी.एम (1 ग्राम दवा प्रति 10 ली.पानी)घोल का छिड़काव 15 दिन के अंतरपर दो बार करें.
पौध अंगमारीरोग पौध अंगमारी रोग में बीजांकुरों के बीज पत्रों पर लाल भूरेरंग के सिकुड़े हुए धब्बे दिखाई देते हैं एवं स्तम्भ मूल संधि क्षेत्र लाल भूरे रंग का हो जाता है. रोगग्रस्त पौधे की मूसला जड़ोंको छोड़कर मूल तन्तु सड़ जाते हैं. खेत में उचित नमी रहते हुए भी पौधों का मुरझा कर सूखनाइस बीकारी का मुख्य लक्षण है. कवक जनितरोगों की रोकथाम हेतु एन्टाकालया मेनकोजेबया काँपरऑक्सीक्लोराइड की 2.5 ग्राम दवा को प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर फसल पर 2 से 3 बाद 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.
जल निकास का उचित प्रबंध करें.
न्यू विल्ट (नया उकठा) न्यू विल्ट से ग्रसित पौध पौधे में लक्षण उकठा (विल्ट) रोग की तरह दिखाई देते हैं पौधे के सूखने की गति तेज होती है. अचानक पूरा पौधा मुरझाकर सूख जाता है. एक ही स्थान पर दो पौधों में से एक पौधों का सूखना एवं दूसरा स्वस्थ होना इस रोग का मुख्य लक्षण है. इस रोग का प्रमुख कारण वातावरणीय तापमान में अचानक परिवर्तन, मृदा में नमी का असन्तुलन तथा पोशक तत्वों की असंतुलित मात्रा के कारण होता है. नया उकठा रोग के नियंत्रण के लिए यूरिया का 1.5 प्रतिशत घोल (100 लीटर पानी में 1500 ग्राम यूरिया) 1.5 से 2 लीटर घोल प्रति पौधा के हिसाब से पौधों की जड़ के पास रोग दिखने पर एवं 15 दिन के बाद डालें.

1 हेक्टेयर में कितना कपास होता है? | Kapas Ki Kheti Kaise Kare

देशी/उन्नत जातियों की चुनाई प्राय नवम्बर से जनवरी या फरवरी तक और संकर जातियों की अक्टूबर-नवम्बर से दिसम्बर-जनवरी तक तथा बी.टी. किस्मों की चुनाई अक्टूबर से दिसम्बर तक की जाती है. कहीं-कहीं बी.टी. किस्मों की चुनाई जनवरी-फरवरी तक भी होती है. देशी/उन्नत किस्मों से 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, संकर किस्मों से 13-18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथी बी.टी. किस्मों से 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक औसत उपज प्राप्त होती है.

इसके अलावा दोस्तों मेरी जमीन राजस्थान में है और यहाँ पर जमीन इतनी अच्छी किस्म कि नही है फिर भी मेरी जमीन में कपास प्रति हेक्टयर में 40 क्विंटल तक हो जाता है लेकिन हमारे यहाँ पर खेतो में अधिकांश किसान बीटी कपास किस्म के बिज कि खेती करते है और दोस्तों कपास कि अच्छी उपज के लिए जमीन कि मिट्टी, सिंचाई और समय पर निर्भर रहती है.

कपास की चुगाई करते समय रखे इन बातों का ध्यान | Kapas Ki Kheti In Hindi

  • कपास की चुनाई सुबह ओस सूखने के बाद ही करनी चाहिए.
  • अविकसित, अधखिले या गीले घेटों की चुनाई नहीं करनी चाहिए.
  • कपास के डिंडा कि चुगाई करते समय कपास के साथ सूखी पत्तियाँ, डण्ठल, मिट्टी इत्यादि नहीं आना चाहिए.
  • चगाई करने के बाद कपास को धूप में सुखा लेना चाहिए क्योंकि अधिक नमी से कपास में रूई तथा बीज दोनों की गुणवत्ता में कमी आती है. कपास को सूखाकर ही भंडारित करें क्योंकि नमी होने पर कपास पीला पड़ जायेगा व फफूंद भी लग सकती हैं.
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FAQ:-(कपास की खेती के बारे में पूछे जाने वाले प्रशन)

प्रशन:- कपास की खेती कैसे करें?

Ans:- कपास की खेती को आप ज्यादा रेतीली, सेम वाली तथा ज्यादा नमकीन जमीन को छोड़कर के सभी प्रकार की मिट्टी में पर कर सकते है. कपास की बुवाई के लिए सबसे पहली अपनी जमीन अच्छी प्रकार जुताई करके तैयार कर लेनी है देशी कपास व सामान्य किस्मों का पांच-छह किलो, बीटी संकर का 850 ग्राम, अमेरिकन कपास का छह से आठ किलो, अमेरिकन संकर किस्मों का 1,500 से 1,750 ग्राम बीज प्रति एकड़ डालें.

प्रशन:- कपास के बिज के क्या क्या नाम होते है?

Ans:- विश्व में कपास कि 2 किस्म पाई जाती है. जिसमे पहली को देशी कपास (गासिपियाम अर्बोरियाम) एवं (गा; हरबेरियम) के नाम से जाना तथा दूसरे को अमेरिकन कपास (गा, हिर्सूटम)एवम् (बरवेडेंस) के नाम से जाता है. जिसमे कपास के बिज के नाम गॉसिपियम हिर्सुटम, गॉसिपियम बारबाडेंस, गॉसिपियम आर्बोरेटम, गॉसिपियम हर्बेसियम आदि है.

प्रशन:- कपास की खेती कोनसे महीने में कि जाती है?

Ans:- कपास की फसल को मई माह में ही लगाया जा सकता हैं.

प्रशन:- सबसे अच्छा कपास का बीज कौन सा है?

Ans:- RCH 134BT यह उच्च उपज देने वाली बीटी कपास की किस्म है. यह सुंडी और अमेरिकी सुंडी के लिए प्रतिरोधी है. यह 160-165 दिनों में पक जाती है. यह कपास की 11.5 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज देती है. इसके अलावा कपास के बीजो में गॉसिपियम हिर्सुटम, गॉसिपियम बारबाडेंस, गॉसिपियम आर्बोरेटम, गॉसिपियम हर्बेसियम आदि नाम है.

प्रशन:- कपास की खेती में कौन सा खाद डालें?

Ans:- कपास कि खेती में अगर आपके पास उपलब्ध होने पर अच्छी तरह से पकी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट 7 से 10 टन/हे. (20 से 25 गाड़ी) अवश्य देना चाहिए. और बुआई के समय 1 हेक्टेयर के लिए लगने वाले बीज को 500 ग्राम एजोस्पाइरिलम एवं 500 ग्राम पी.एस.बी. से भी उपचारित कर सकते है जिससे 20 किग्रा नत्रजन एवं 10 किग्रा स्फुर की बचत होगी.

प्रशन:- कपास की बुवाई का समय कब आता है?

Ans:- मई महीने में कपास की बुवाई का सही समय होता है.

प्रशन:- कपास में उकठा रोग की समस्या को रोकने के लिए क्या करें?

Ans:- नया उकठा रोग के नियंत्रण के लिए यूरिया का 1.5 प्रतिशत घोल (100 लीटर पानी में 1500 ग्राम यूरिया) 1.5 से 2 लीटर घोल प्रति पौधा के हिसाब से पौधों की जड़ के पास रोग दिखने पर एवं 15 दिन के बाद डालें.

प्रशन:- कपास में झुलसा रोग की दवा कोनसी अच्छी है?

Ans:- आपको अपने खेत में कपास की फसल बोने से पहले बीजों को बावेस्टीन कवक नाशी दवा की 1 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करे. जिससे फसल में झुलसा रोग नही होगा.

प्रशन:- कपास में जड़ गलन रोग कि रोकथाम के लिए क्या करें?

Ans:- कवक जनितरोगों की रोकथाम हेतु एन्टाकालया मेनकोजेबया काँपरऑक्सीक्लोराइड की 2.5 ग्राम दवा को प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर फसल पर 2 से 3 बाद 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें व जल निकास का उचित प्रबंध करें.

प्रशन:- कपास में सफेद मच्छर की दवा कोनसी आती है?

Ans:- सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए नीम का तेल 1 लीटर प्रति एकड़ या डाईफेन्थ्रोन 325 ग्राम प्रति एकड़ या बुफरोफेजीन 400 मिली लीटर का 200 लीटर पानी में घोल तैयार कर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें.

प्रशन:- कपास में विल्ट रोग होने पर क्या करें?

Ans:- कीट नियंत्रण हेतु नीम की खली को भूमि में उपयोग करे, नीम का तेल का छिड़काव करें, चने की इल्ली नियंत्रण हेतु एचएनपीवी एवं बीटी लिक्विड फामूलेशन का प्रयोग करे, बीजोपचार हेतु एजोस्पीरिलियम/ एजेटोबेक्टर , पी.एस.बी., ट्राइकोडर्मा माईकोराइजा उपयोग करे.

Kapas Ki Kheti Kaise Kare:- दोस्तों आपको इस आर्टिकल में कपास की खेती कैसे करें और कपास की खेती कब, कहां, खाद, रोग, दवा, मिट्टी, समय, मुनाफा, चुगाई और कपास की खेती से जुडी सभी प्रकार कि जानकारी को बताया गया है जिससे आप आसानी से कपास कि खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है अगर आपको इस आर्टिकल में दी गई कपास की खेती से जुडी जानकारी अच्छी लगी है तो इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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