छत्तीसगढ़ चरण पादुका योजना 2025: ऑनलाइन आवेदन, आवश्यक दस्तावेज व पात्रता जानें
Chhattisgarh Charan Paduka Yojana 2025: छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बार फिर आदिवासी समुदाय के हित में बड़ा फैसला लिया है। लंबे समय से बंद पड़ी चरण पादुका योजना को वर्ष 2025 में पुनः शुरू किया जा रहा है। यह योजना राज्य की वनवासी जनसंख्या, विशेषकर तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए सम्मान, सुरक्षा और सहयोग का प्रतीक मानी जाती है।

फिर से बहाल होगी चरण पादुका योजना, मुख्यमंत्री करेंगे शुभारंभ
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथों जून 2025 के अंत तक चरण पादुका योजना का विधिवत शुभारंभ प्रस्तावित है। इस योजना के फिर से शुरू होने की खबर से आदिवासी समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है। यह योजना भाजपा की 'मोदी की गारंटी' योजना का हिस्सा थी, जिसे अब सक्रिय रूप से लागू किया जा रहा है।
इतिहास और पृष्ठभूमि: योजना का प्रारंभ और बंद होना
चरण पादुका योजना की शुरुआत वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार ने की थी। इसका उद्देश्य था कि जंगलों में कठिन परिस्थितियों में कार्य करने वाले तेंदूपत्ता संग्राहकों को कार्य में सहूलियत दी जाए। लेकिन वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था, जिससे आदिवासी समुदाय को काफी नुकसान हुआ।
पुनर्जीवन की जरूरत क्यों पड़ी?
तेंदूपत्ता संग्रह एक जोखिम भरा कार्य है। जंगलों में कांटेदार झाड़ियों, कीड़ों और विषैले जीवों के बीच बिना जूते-चप्पल के कार्य करना न केवल असुविधाजनक, बल्कि खतरनाक भी होता है। इसीलिए चरण पादुका योजना को दोबारा शुरू करना वनवासियों की सुरक्षा और गरिमा के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया था।
योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मूल उद्देश्य तेंदूपत्ता संग्राहकों को हर वर्ष एक जोड़ी जूते या चप्पल निःशुल्क उपलब्ध कराना है। इससे उन्हें काम करने में सुविधा होती है, साथ ही उनका आत्मसम्मान भी बढ़ता है।
महिलाओं को भी मिला योजना में स्थान
शुरुआत में यह योजना केवल पुरुष संग्राहकों तक सीमित थी, लेकिन वर्ष 2008 में इसमें बदलाव करते हुए महिलाओं को भी इसका लाभ दिया जाने लगा। यह बदलाव सामाजिक समरसता और लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।
योजना का प्रत्यक्ष लाभ और सामाजिक प्रभाव
यह योजना सिर्फ एक वस्तु वितरण की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आदिवासियों की गरिमा, सुविधा और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे न केवल कार्य करने में आसानी होगी, बल्कि सरकार के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा।
योजना की मुख्य विशेषताएं – एक नजर में
विशेषता | विवरण |
---|---|
योजना का नाम | चरण पादुका योजना 2025 |
लाभार्थी | तेंदूपत्ता संग्राहक (पुरुष और महिलाएं) |
लाभ | हर वर्ष एक जोड़ी मुफ्त जूते/चप्पल |
शुभारंभ | जून 2025 (मुख्यमंत्री द्वारा) |
क्रियान्वयन विभाग | वन विभाग / जनजातीय कल्याण विभाग |
प्रारंभ वर्ष | 2005 (डॉ. रमन सिंह सरकार) |
पुनः आरंभ | 2025 (विष्णुदेव साय सरकार) |
चरण पादुका योजना 2025 के लिए पात्रता
आवेदक छत्तीसगढ़ राज्य का स्थायी निवासी हो।
वह पंजीकृत तेंदूपत्ता संग्राहक हो।
उसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
आवेदक का नाम संबंधित वन मंडल या संग्राहक समिति की सूची में होना चाहिए।
आवश्यक दस्तावेज
आधार कार्ड की प्रति
छत्तीसगढ़ का निवास प्रमाण पत्र
तेंदूपत्ता संग्राहक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र
पासपोर्ट साइज फोटो
बैंक खाता विवरण (यदि भविष्य में DBT लाभ भी जोड़ा जाए)
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया (यदि लागू हो)
फिलहाल चरण पादुका योजना पूरी तरह ऑफलाइन संचालित की जाती रही है, लेकिन यदि सरकार द्वारा ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाए तो आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार हो सकती है:
छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
“चरण पादुका योजना” सेक्शन में क्लिक करें।
ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
सबमिट करने के बाद आवेदन संख्या सुरक्षित रखें।
योजना से मिलने वाले प्रमुख लाभ
सुरक्षा: जंगलों में पैरों को चोट और संक्रमण से बचाव
सहूलियत: लंबे समय तक चलने में आराम
गरिमा: सरकारी मान्यता और सम्मान का अनुभव
लाभ का प्रत्यक्ष वितरण: बिना बिचौलिए सीधे लाभार्थी तक सुविधा
योजना से जुड़े लाभार्थियों की प्रतिक्रिया
बहुत से आदिवासी संग्राहकों ने खुशी जाहिर की है कि सरकार ने एक बार फिर उनकी मूलभूत जरूरतों की ओर ध्यान दिया है। उनका मानना है कि यह सिर्फ एक चप्पल नहीं, बल्कि सरकार का उनके प्रति विश्वास और सम्मान का प्रतीक है।
निष्कर्ष: एक जनकल्याणकारी प्रयास
चरण पादुका योजना 2025 की वापसी छत्तीसगढ़ सरकार का आदिवासी हितैषी दृष्टिकोण दर्शाती है। यह एक ऐसा प्रयास है जो न केवल तेंदूपत्ता संग्राहकों की सुविधा सुनिश्चित करता है, बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति को भी सुदृढ़ करता है। उम्मीद की जा रही है कि इस योजना के प्रभाव से आदिवासी समुदाय की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आएगा।